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सितारों की तरफ छलाँग लगाएँगे तो चाँद मिले या नहीं, उड़ना सीख जाएँगे। पेड़ की टहनी की ओर हाथ बढ़ाएँगे और गिरे तो धूल-धूसरित ही होंगे। सवा सौ करोड़ भारतीयों में से आज 5 0 फीसदी की औसत उम्र 25 वर्ष है। वे यदि उड़ना सीख जाएँ तो खुद भी अमीर हो सकते हैं और देश भी। यह पुस्तक आपको ऐसे 5 0 उद्यमियों से रूबरू करवा रही है, जिन्होंने एक उड़ान भरी और वे बन गए हैं खुद के बॉस।
महत्त्वपूर्ण यह नहीं है कि ये कब शिखर पर पहुँचेंगे, महत्त्वपूर्ण है इनसे मिलने वाला यह सबक—
‘‘ग्लोबल मार्केट का हिस्सा बन जाने के बाद हमारे देश में अमीर बनना आसान हो गया है, पर विरासत में मिली भरी पूँजी या किसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी की भारी-भरकम डिग्री, दोनों ही अमीर नहीं बनातीं। इसके लिए चाहिए बस एक नया सोच और उसे साकार करने का संकल्प, साहस व सूझबूझ!’’
कॉरपोरेट इतिहासकार प्रकाश बियानी की यह ग्यारहवीं पुस्तक है। श्री बियानी की पूर्व प्रकाशित पुस्तकों में बहुपठित हैं—‘शून्य से शिखर’, ‘जी! वित्तमंत्री जी’, ‘इस्पात पुरुष लक्ष्मी मित्तल’, ‘इंडियन बिजनेस वुमेन’, ‘25 सुपर ब्रांड्स’ एवं ‘खदान से ख्वाबों तक संगमरमर’। बिजनेस वर्ल्ड पर हिंदी में पहली बार प्रकाशित इन पुस्तकों को प्रबुद्ध पाठकों, विशेषकर बी-स्कूल के छात्रों ने खूब सराहा है। उनकी पुस्तकों के गुजराती, मराठी संस्करण भी लोकप्रिय हुए हैं।
किशोर उम्र से लेखन कार्य कर रहे श्री बियानी ने 25 वर्ष (1968-93) भारतीय स्टेट बैंक में महत्वपूर्ण दायित्व सँभालने के बाद दस वर्ष (1994-2003) भास्कर समूह में कॉरपोरेट संपादक का दायित्व सँभाला है। उनके दो हजार से ज्यादा लेख, साक्षात्कार विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। सन् 2003 से फ्रीलांस लेखक के रूप में कार्यरत श्री बियानी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के नियिमत स्तंभ लेखक भी हैं।
मो 9303223928
prakashbiyani@yahoo.co.in, www.prakashbiyani.com