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"अफगानिस्तान में पैदा हुए रूमी ने अपना अधिकांश जीवन तुर्की में बिताया। रूमी की कविताएँ अपनी सुंदरता, ज्ञान और आध्यात्मिक गहराई के लिए जानी जाती हैं। उनकी रचनाएँ प्रेम, विश्वास और अस्तित्व की प्रकृति जैसे विषयों की पड़ताल करती हैं और मानव अनुभव में अंतर्दृष्टि भी।
इस जीवनी पुस्तक का उद्देश्य रूमी के जीवन और कार्य का एक व्यापक विवरण प्रस्तुत करना है। ऐतिहासिक अभिलेखों और समकालीन विद्वत्ता पर आधारित इस आकर्षक और गूढ़ चित्र का एक समृद्ध और सूक्ष्म चित्र प्रस्तुत करना है। उनके जीवन और कविता की खोज के माध्यम से पाठक रूमी की स्थायी विरासत और दुनिया पर उनके गहरे प्रभाव की गहरी समझ हासिल करेंगे।
प्रस्तुत पुस्तक में हम रूमी की कुछ सबसे प्रसिद्ध रचनाओं का विश्लेषण करेंगे, जिनमें 'मसनवी' भी शामिल है, जो एक छह खंड की महाकाव्य कविता है, जो रूपक और कहानी के माध्यम से आध्यात्मिक विषयों की पड़ताल करती है। पुस्तक में रूमी की संक्षिप्त जीवनी के अलावा 'मसनवी' को कहानी के रूप में और उनके काव्य को उनके प्रेरक विचारों के रूप में पिरोया गया है।"
हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य।
हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैं—मध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार’, समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि।
संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।