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"एक साल से अधिक समय तक लॉकडाउन में रहने के बाद नूनी अब चौदह साल की हो गई है और सोमनहल्ली में अपने अज्जा-अज्जी से मिलने के लिए पूरी तरह तैयार है। प्यारी नूनी की मीठी-मीठी कहानियाँ’ में उनके आखिरी साहसिक कार्य की यादें—जहाँ उन्होंने एक प्राचीन बावड़ी की खोज की थी—मौजूद हैं; आज भी सबके मस्तिष्क में ताजा हैं।
अंतत: घर की सीमाओं से बाहर निकलने को उत्साहित नूनी को शायद ही पता हो कि वह एक और खोज करने जा रही है। और इस बार अपनी न समाप्त होनेवाली जिज्ञासा के कारण वह अपने परिवार के इतिहास के एक अनजाने अध्याय को खोलेगी।
सुधा मूर्ति की अनूठी शैली में लिखी गई ‘द मैजिक ऑफ The Lost Story प्रश्न पूछने और उत्तरों को जीवित रखने के महत्त्व को दरशाती है। रमणीय चित्रों और अद्भुत दृश्यों से भरपूर, भारत की पसंदीदा कहानीकार हमें शानदार तुंगभद्रा नदी के साथ-साथ एक अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाती है।"
सुधा मूर्ति का जन्म सन् 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिग्गाँव में हुआ। उन्होंने कंप्यूटर साइंस में एम.टेक. किया और वर्तमान में इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा हैं। बहुमुखी प्रतिभा की धनी सुधा मूर्ति ने अंग्रेजी एवं कन्नड़ भाषा में उपन्यास, तकनीकी पुस्तकें, यात्रा-वृत्तांत, लघुकथाओं के अनेक संग्रह, अकाल्पनिक लेख एवं बच्चों हेतु चार पुस्तकें लिखीं। सुधा मूर्ति को साहित्य का ‘आर.के. नारायणन पुरस्कार’ और वर्ष 2006 में ‘पद्मश्री’ तथा कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्ट योगदान हेतु वर्ष 2011 में कर्नाटक सरकार द्वारा ‘अट्टीमाबे पुरस्कार’ प्राप्त हुआ। अब तक भारतीय व विश्व की अनेक भाषाओं में लगभग दो सौ पुस्तकें प्रकाशित होकर बहुचर्चित-बहुप्रशंसित।