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"जब आप दुःखी होते हैं तो फिर एक बार अपने हृदय में झाँकिए और आप देखेंगे कि वास्तव में आप उस चीज के लिए रो रहे हैं, जो आपकी खुशी का स्रोत था। आपमें से कुछ लोग कहते हैं, 'दुःख से बड़ा सुख होता है,” और दूसरे लोग कहते हैं, “नहीं, दुःख उससे भी बड़ा है।
लेकिन मैं आपको कहता हूँ कि वे अवियोज्य हैं।
दोनों साथ ही आते हैं और जब एक अकेला आपके साथ बैठता है तो याद रखिए कि दूसरा आपके बिस्तर पर सो रहा है।
वास्तव में आप अपने सुख और दुःख के बीच तराजू की तरह लटके रहते हैं | जब आप इन दोनों भावनाओं से परे खाली होते हैं, तभी आप स्थिर और संतुलित होते हैं —इसी पुस्तक से
'द प्रोफेट' प्रसिद्ध दार्शनिक व लेखक खलील जिब्रान की उत्कृष्ट और कालजयी रचना है। 1923 में प्रकाशित इस रचना का अब तक 20 से भी अधिक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है | केवल अमेरिकी संस्करण में ही इसकी लगभग एक सौ करोड़ से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं। जीवन में सुख, संतोष, आनंद की महत्ता बताकर मानव जीवन की सार्थकता रेखांकित करनेवाली पठनीय व प्रेरक पुस्तक।"