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"6 जून, 1984 भारतीय सेना ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर काररवाई करके 'ऑपरेशन ब्लूस्टार' कहलाने वाली ऐतिहासिक और अभूतपूर्व घटना में चरमपंथी सिख नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके अनुयायियों द्वारा किए जा रहे आतंकवाद के बढ़ते खतरे को हमेशा के लिए खत्म कर दिया। लेकिन इसने अपने पीछे कुछ अनसुलझे राजनीतिक सवाल छोड़ दिए जो आने वाले कई सालों तक पंजाब की स्थिरता के लिए खतरा बने रहे।
कैसे. तीन साल की छोटी सी अवधि में, भारत का गतिशील सीमावर्ती राज्य एक राष्ट्रीय समस्या बन गया ? इसके लिए कौन जिम्मेदार है-चेतावनियों के बावजूद संकट को बढ़ने देने वाली केंद्र सरकार या लंबे समय से चल रहा अकाली आंदोलन या आतंकवादियों का कुख्यात गिरोह जिसने एक पवित्र मंदिर को आतंकवादियों के लिए शरणस्थली बना दिया ?
ऑपरेशन ब्लूस्टार के दो महीने बाद पहली बार प्रकाशित हुई 'द पंजाब स्टोरी' भारत के कुछ सबसे प्रतिष्ठित सार्वजनिक हस्तियों और पत्रकारों की नजर से पंजाब की जटिल पहेली को एक साथ जोड़ती है। नाटक से जुड़े लोगों के जुनून और दृढ़ विश्वास के साथ लिखते हुए वे पंजाब की उलझन के अतीत, वर्तमान और भविष्य पर एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। उनके कई निष्कर्षों की सच्चाई समय के साथ सामने आई है।"