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जीवन में सफलता पाने के लिए समय के महत्त्व को पहचानकर स्वयं को समय के साथ अनुशासित करके चलना बेहद जरूरी है। 'बीता हुआ समय' हमारे द्वारा खर्च किए गए धन के समान है, जिसे हम कभी वापस नहीं पा सकते और 'भविष्य का समय' हमारे बैंक में जमा ऐसे धन के समान है, जिसकी मात्रा के बारे में हमें कुछ पता नहीं, केवल 'वर्तमान समय' ही हमारे पास उपलब्ध नकद धन के समान है।
जन्म : अक्तूबर 1940 में मथुरा में।
कृतित्व : स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया के भिलाई, राउरकेला व बोकारो इस्पात संयंत्रों में परियोजना इंजीनियरिंग व प्रबंधन में चालीस वर्षों से अधिक का अनुभव। संस्थापक सचिव, इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स—‘इंडिया’ बोकारो स्टील सिटी।
एक्जीक्यूटिव सदस्य, कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ इंडिया।
अध्यक्ष, इंजीनियरिंग विज्ञान, 89वीं इंडियन साइंस कांग्रेस-2002।
प्रकाशन : दस अन्य हिंदी तकनीकी व दो अंग्रेजी पुस्तकें स्व-प्रकाशित। सर विश्वेश्वरैया के जीवनदर्शन एवं कार्यशैली पर एक विशिष्ट हिंदी पुस्तक विशेष चर्चित। प्रबंधन एवं इंजीनियरिंग संस्थानों में विजिटिंग फैकल्टी, प्रोजेक्ट गाइड।
पुरस्कार-सम्मान : दस हिंदी तकनीकी पुस्तकें भारत सरकार द्वारा, सात इस्पात मंत्रालय द्वारा तथा तीन महासागर मंत्रालय द्वारा पुरस्कृत।
संप्रति : पी-एच.डी. (बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय।