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जीवन में सफलता पाने के लिए समय के महत्त्व को पहचानकर स्वयं को समय के साथ अनुशासित करके चलना बेहद जरूरी है। ‘बीता हुआ समय’ हमारे द्वारा खर्च किए गए धन के समान है, जिसे हम कभी वापस नहीं पा सकते और ‘भविष्य का समय’ हमारे बैंक में जमा ऐसे धन के समान है, जिसकी मात्रा के बारे में हमें कुछ पता नहीं, केवल ‘वर्तमान समय’ ही हमारे पास उपलब्ध नकद धन के समान है।
प्रतिपल, मिनट, घंटे, रात-दिन, माह एवं वर्ष के रूप में समय के महत्त्व को पहचानकर श्रम, उद्योग तथा सृजन का अवलंबन लेनेवाला व्यक्ति पग-पग पर सफलता के सोपान चढ़ता जाता है। हम अपने समय को नियमित दिनचर्या में बाँटकर, उसका अनुशासनपूर्वक पालन करके, अपनी आदतों को सही ढाँचे में ढालकर, दूसरे सफल व्यक्तियों के अनुभवों से लाभ उठाकर तथा कुछ समय की बचत करके अपने अत्यंत उपयोगी कार्य संपन्न कर सकते हैं।
‘टाइम मैनेजमेंट एवं सफलता’ पुस्तक प्रबंधन विज्ञान एवं प्रबंधन कला के विस्तृत क्षेत्र में समय का सदुपयोग जैसे महत्त्वपूर्ण विषय को केंद्र में रखकर अत्यंत सुबोध शैली में लिखी गई है। समय का सही मूल्यांकन कर उसका सद्प्रयोग करने से संबंधित अनेकों उपाए इस पुस्तक में दिए गए हैं।
जन्म : अक्तूबर 1940 में मथुरा में।
कृतित्व : स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया के भिलाई, राउरकेला व बोकारो इस्पात संयंत्रों में परियोजना इंजीनियरिंग व प्रबंधन में चालीस वर्षों से अधिक का अनुभव। संस्थापक सचिव, इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स—‘इंडिया’ बोकारो स्टील सिटी।
एक्जीक्यूटिव सदस्य, कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ इंडिया।
अध्यक्ष, इंजीनियरिंग विज्ञान, 89वीं इंडियन साइंस कांग्रेस-2002।
प्रकाशन : दस अन्य हिंदी तकनीकी व दो अंग्रेजी पुस्तकें स्व-प्रकाशित। सर विश्वेश्वरैया के जीवनदर्शन एवं कार्यशैली पर एक विशिष्ट हिंदी पुस्तक विशेष चर्चित। प्रबंधन एवं इंजीनियरिंग संस्थानों में विजिटिंग फैकल्टी, प्रोजेक्ट गाइड।
पुरस्कार-सम्मान : दस हिंदी तकनीकी पुस्तकें भारत सरकार द्वारा, सात इस्पात मंत्रालय द्वारा तथा तीन महासागर मंत्रालय द्वारा पुरस्कृत।
संप्रति : पी-एच.डी. (बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय।