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Tisara Sukh Tatha Anya Kahaniyan   

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Author Shailesh Matiyani
Features
  • ISBN : 9788177212327
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Shailesh Matiyani
  • 9788177212327
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2016
  • 224
  • Hard Cover

Description

"अंधा देख नहीं सकता। वह अंदर बढ़ गई, तब भी उसने नहीं देखा। जब उसने काँपते हुए हाथों से दरवाजा बंद कर दिया, तब चिल्लाया था—‘‘कौन है?’’
‘‘मैं हूँ, लछमी भिखारिन...’’ एकाएक उसके मुँह से निकल पड़ा था और वह चौंकी थी। ‘‘कहाँ भीख माँगती थी? आज तक तो दिखी नहीं...’’
तो क्या यह अंधा देखता भी है? ‘‘नई-नई आई है क्या इस शहर में?’’
‘‘हाँ...आँ!’’
उसकी आवाज कितनी बदल गई थी! उस शख्स के लिए भी तो वह बिलकुल नई-नई थी। ‘‘कोई बच्चा-वच्चा भी है?’’
‘‘ऊँ हूँ...अभी तो मेरी शादी ही नहीं हुई है।...’’
‘‘उमर क्या होगी तेरी?’’
—इसी संग्रह से हिंदी के बहुचर्चित कहानीकार शैलेश मटियानीजी ने इन कहानियों में पूँजीवादी समाज-व्यवस्था के शिकार शोषितों-पीडि़तों के दु:ख-दर्द को जीवंत एवं कारगर तरीके से उजागर किया है। अत्यंत मर्मस्पर्शी, संवेदनशीलता व पठनीयता से भरपूर कहानियाँ।

The Author

Shailesh Matiyani

जन्म : 14 अक्‍तूबर, 1931 को अल्मोड़ा जनपद के बाड़ेछीना गाँव में।
शिक्षा : हाई स्कूल तक।
शैलेश मटियानी का अभिव्‍यक्‍त‌ि-क्षेत्र बहुत विशाल है। वे प्रबुद्ध हैं, अत: लोक चेतना के अप्रतिम शिल्पी हैं। श्रेष्‍ठ कथाकार के रूप में उन्होंने ख्याति अर्जित की ही, निबंध और संस्मरण की विधा में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। कृतित्व : तीस कहानी-संग्रह इकतीस उपन्यास तथा नौ अपूर्ण उपन्यास, तीन संस्मरण पुस्तकें, निबंधात्मक एवं वैचारिक विष्‍ियों पर बारह पुस्तकें, लोककथा सा‌‌ह‌ित्य पर दस पुस्तकें, बाल साहित्य की पंद्रह पुस्तकें। ‘विकल्प’ एवं ‘जनपक्ष’ पत्रिकाओं का संपादन।
पुरस्कार एवं सम्मान : प्रथम उपन्यास ‘बोरीवली से बोरीबंदर तक’ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत; ‘महाभोज’ कहानी पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्‍थान का ‘प्रेमचंद पुरस्कार’; सन् 1977 में उत्तर प्रदेश शासन की ओर से पुरस्कृत; 1983 में ‘फणीश्‍वरनाथ ‘रेणु’ पुरस्कार’ (बिहार); उत्तर प्रदेश सरकार का ‘संस्‍थागत सम्मान’ ; 1994 में कुमायूँ विश्‍‍वव‌ि‍द्यालय द्वारा ‘डी.लिट.’ की मानद उपाधि; 1999 में उ.प्र. हिंदी संस्‍थान द्वारा ‘लो‌ह‌िया सम्मान’; 2000 में केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा ‘राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार’।
महाप्रयाण : 24 अप्रैल, 2001 को ‌द‌िल्ली में।

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