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तश्नगी महज़ एक किताब नहीं है। यह आपकी दोस्त है। अगर आपके दिल में कोई जज़्बा है—ह्रश्वयार, मसर्रत, अफसोस, गुस्सा या और भी कुछ—तो आप उसे इस दीवान में ज़रूर पाएँगे। कई बार ऐसा होता है कि हम अपने जज़्बे को लफ्ज नहीं दे पाते। अगर आपके अंदर जज़्बात हैं, तो बहुत मुमकिन है कि दीवान-ए-हाफज़ आपके जज़्बात को अल्फाज़ दे दे। अगर आप किसी से कुछ कहना चाहते हैं तो शायद ये किताब बड़ी तहज़ीब से, तरीके से अपनी बात कहने में आपकी मददगार साबित हो। ऐसा भी हो सकता है कि जो नए शोअरा अदब की दुनिया में कदम रख रहे हैं, उन्हें इस दीवान से कुछ सीखने को मिल जाए। इस किताब में उर्दू शायरी की तीनों सिनफें हैं—गज़ल, रुबाई और नज़्म। आप इस किताब के पन्ने पलटिए और बहुत मुमकिन है कि आपको किसी पन्ने पर आपकी खुशी बाँटती हुई कोई गज़ल, या आपके बिछड़े दोस्त को बुलाती हुई कोई नज़्म, या फिर आपकी उदासी को साझा करती हुई कोई रुबाई मिल जाए। दीवान-ए-हािफज़ एक तोहफा है उन सबके लिए, जिन्हें अच्छी शायरी पसंद है और उर्दू अदब से मुहब्बत है।
गौरव कृष्ण बंसल विलक्षण व्यक्तित्व के धनी हैं। भारतीय रेलवे में प्रथम श्रेणी के अधिकारी हैं। वह एक कवि, गायक, कलाकार, संगीतज्ञ और खिलाड़ी हैं। इसके अलावा वह एक कुशल वक्ता तथा प्रेरक व्यक्ति और लेखक हैं। उनकी दो पुस्तकें प्रकाशित हैं—‘बिटर स्वीट्स’ (अंग्रेजी) कहानियों की पुस्तक है और उर्दू में ‘सब कुछ’ कविताओं का संग्रह है। वह शायद अकेले ऐसे लेखक हैं, जिन्होंने तीन भाषाओं—हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी—में लिखा है। उन्होंने ऐसी विविध शैलियों का इस्तेमाल किया है, जैसे हास्य-व्यंग्य, सामाजिक पहलू और प्रेरणादायक पुस्तकें—दोनों ही गद्य और पद्य में। उन्हें ‘लखनऊ मैनेजमेंट एसोसिएशन’ और ‘टाइम्स ग्रुप’ द्वारा ‘परसन विद लीडरशिप पोटेंशियल फॉर द नेशन’ के रूप में चुना गया। उन्हें कई सामाजिक संस्थानों द्वारा पुरस्कृत और सम्मानित किया गया है। वह एक योग्य शिक्षक हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में सफलता पाने के लिए छात्रों को प्रेरित किया है।