₹400
अचानक ही धन देवी लक्ष्मी जी गहरे संताप में आ गई कि कल तक उसका आस्तिक उपासक, जो 500 और 1000 रुपए के अविनाशी नोटों को अपनी तिजोरियों, अलमारियों यहाँ तक कि अपने डबलबेड के बॉक्स व गद्दों के नीचे सँभाल-सँभालकर रखता था, बेनागा प्रतिदिन उसके आगे अगरबत्ती और दीपक जलाकर उसकी पूजा भी किया करता था, आज अचानक नास्तिक हो गया है। नास्तिक ही नहीं, जल्लाद बन गया है और उसे गंदे, मटमैले-कुचैले थैलों में भर-भरकर घर से बेघर करने पर आमादा हो गया है। हैवानियत उसके सिर चढ़कर अपना काम कर रही है। वह वर्षों से प्यार से सँजोकर रखी हुई अपनी लक्ष्मी को रात के अँधेरे में नदी-नालों, गटर, कूड़ेदान व आस-पास की झाड़-झाडि़यों में फेंकने पर आमादा हो गया है। उसे आज अपनी सुख-समृद्धि का बिलकुल भी ध्यान नहीं है। इस समय उसके लिए सुख-समृद्धि जाए चूल्हे में या फिर कहीं भी जाए, उसकी बला से! उसे तो इस समय अपने वैभव से ज्यादा अपने घर की लक्ष्मी को गुप्त रूप से ठिकाने लगाने की चिंता है। वह पहले उसे पाने के लिए अपना दिन-रात एक करता था। रात में सोता अपनी पत्नी के साथ था, परंतु खयालों में उसे ही रखता था। रात में बिस्तर पर करवटें बदलता था तो अपने गद्दों के नीचे बिछाकर रखी हुई, अपनी धन-लक्ष्मी को जब तब झाँक-झाँककर भरपूर देख नहीं लेता, तब तक उसे नींद नहीं आती थी।
—इसी संग्रह से
जन्म :14 जनवरी, 1967 को चंदौसी में।
शिक्षा : एम.एस-सी. (फिजिक्स इलेक्ट्रॉनिक्स), ग्रेड आई.ई.टी.ई., ए.डी.ई.ए. एवं बी.ई.एस. (एल.एम.), हिंदी पत्रकारिता में डिप्लोमा, एम.ए. (हिंदी साहित्य एवं पत्रकारिता प्रशिक्षण)।
रचना-संसार :‘समांतर हो गए रिश्ते’, ‘दाढ़ी तुझे सलाम’, गाड़ी सरकारी दफ्तर की’, ‘स्वामी आलोकानंदजी महाराज का बिजली उपवास’ (व्यंग्य-संग्रह), ‘नारी शीर्षक से’, ‘तुमने देखा तो होगा’, ‘हँसता हुआ चाँद’, ‘हम सब यांत्रिकी हो गए’ (कविता-संग्रह)।
राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में सामाजिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों पर सूचनात्मक, व्यंग्यात्मक, आलोचनात्मक रचनाएँ प्रकाशित, जिनमें लघु-कथाएँ, कहानियाँ, बाल-कहानियाँ तथा यात्रा-वृत्तांत भी शामिल हैं। आकाशवाणी से वार्त्ता, विज्ञान वार्त्ता तथा साक्षात्कार प्रसारित।
सम्मान-पुरस्कार :राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार, आकाशवाणी के राजभाषा पुरस्कारों से अनेक बार पुरस्कृत, रामवृक्ष बेनीपुरी जन्म शताब्दी सम्मान, श्री साईंदास बालूजा साहित्य कला अकादमी सम्मान, अमृत कलश-रत्नश्री सम्मान, राष्ट्रभाषा रत्न सम्मान तथा कलमवीर सम्मान।
संप्रति :दूरदर्शन महानिदेशालय, नई दिल्ली के मानव संसाधन विकास अनुभाग में ‘सहायक अभियंता’।