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Trishuldhari: Devo Aur Asuro Ki Kahaniyan (Hindi Translation of The Wielder of The Trishul)   

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Author Satyam Srivastava
Features
  • ISBN : 9789390900985
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Satyam Srivastava
  • 9789390900985
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2021
  • 342
  • Soft Cover
  • 400 Grams

Description

देवों और असुरों की एक ऐसी कहानी, जिसमें ध्रुव -लोक नाम के मिथिकीय देश में भगवान्‌ शिव का त्रिशूल रखा है, जिसे सदियों से कोई भी धारण नहीं कर सका है। भविष्यवाणी, शपथ, वरदान और अभिशाप के साथ न्याय, कर्तव्य और प्रेम के बीच एक साहसिक युद्ध की परिस्थितियाँ बन चुकी हैं।

शक्तिशाली त्रिशूल को किसने धारण किया?

अवश्यंभावी युद्ध में भगवान्‌ विष्णु किसका पक्ष लेंगे?

क्या एक सदाचारी अपनी शपथ का पालन करने के लिए अधर्म करेगा?

क्या एक निम्नवर्गीय छात्र के साथ अन्याय होगा?

क्या एक राजा अपने पुत्र-प्रेम में बँध जाएगा?

धर्म का पालन कौन करता है और कौन डगमगा जाता है ?

एक युद्ध-कथा इस विषय पर कि मनुष्य होने का अर्थ कया होता है!

प्रस्तुत पुस्तक आपको इस महागाथा के मूल तक ले जाती है। देवों और असुरों की सेनाएँ अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करने के लिए आमने-सामने खड़ी हैं। सभी के प्रारब्ध आपस में टकराने वाले हैं और एक भीषण संग्राम छिड़ने वाला है।

The Author

Satyam Srivastava

सत्यम्‌—मध्यमवर्गीय परिवार में जनमे सत्यम्‌ का बचपन उत्तर भारत के कई शहरों में बीता। आई.आई.टी., बॉम्बे से ग्रेजुएशन के लिए सत्यम्‌ मुंबई चले आए। उन्होंने छह साल तक बेंगलुरु में काम किया; फिर उन्हें सिविल सेवा परीक्षा में सफलता मिली, जिसके बाद तकनीकी विशेषज्ञता से वह आयकर अधिकारी बन गए। आई.आर.एस, अधिकारी के रूप में उनकी पहली पोस्टिंग उन्हें फिर से मुंबई महानगर में ले आई।

घर से दफ्तर और दप्तर से घर के रास्ते में, जाम में फँसी मुंबई की सड़कों पर आते-जाते उन्होंने लिखना शुरू किया। जल्दी ही उन्हें यह बात समझ आ गई कि उनका दूसरा प्यार उन्हें सबसे अजीबोगरीब जगहों पर मिला है।

स्वप्नदृष्टा होने के कारण उन्हें विभिन्‍न प्रकार की शैलियों और विविध विषयों पर लिखना पसंद है । अपनी पहली पुस्तक 'नीलकंठ' के वह मुख्य लेखक हैं, जो अपराध-रहस्य-रोमांच से भरपूर है। यह पुस्तक 'त्रिशूलधारी' एक पौराणिक कथा संग्रह के रूप में पहली पुस्तक है। उन्हें satyam@satyamsrivastava.com, www.satyamsrivastava.com पर संपर्क किया जा सकता है

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