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Tumhare Liye, Bas   

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Author Madhup Mohta
Features
  • ISBN : 9789386300720
  • Language : Hindi
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Madhup Mohta
  • 9789386300720
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2017
  • 128
  • Hard Cover

Description

इस संकलन में राजनैतिक विमर्श या इतिहास बोध की कविताएँ नहीं हैं; अधिकांश प्रेम कविताएँ हैं, जो एक लंबे अरसे में लिखी गईं। कई कविताएँ एक देश में प्रारंभ हुईं और किसी दूसरे देश में समाप्त हुईं। कई कविताएँ दूरदर्शन पर गाई जा चुकी हैं और कुछ व्यक्तिगत गोष्ठियों में। कुछ नज़्में और ग़ज़लें ‘दिल है ऩगमा निगार’ और ‘तुम्हारे प्यार का मौसम’ सी.डी. में संकलित हुई हैं। कुछ कविताएँ मेरे मित्र फेसबुक ग्रुप ‘एप्रिल इज नॉट द क्रूएलेस्ट मंथ’ पर प्रसारित होकर प्रशंसित हो चुकी हैं।
मन के भावों को पुस्तक का रूप देना आसान नहीं होता। विशेषकर भारतीय समाज में प्रेम कविताएँ लिखना और प्रकाशित करना एक बहुत बड़ा ़खतरा मोल लेनेवाली बात है। मैं इस बात का कोई जवाब नहीं दूँगा कि ये कविताएँ किसके लिए लिखी गई हैं। जिसके लिए लिखी गई हैं, उसे मालूम है। इसलिए इसका शीर्षक : तुम्हारे लिए, बस।

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अनुक्रम  
भूमिका — 7 37. उपवन — 67
आशीर्वाद — 9 38. गुमनामी — 69
दो शद — 11 39. शुभ प्रभात — 72
अपनी बात — 13 40. उन्माद — 73
1. सच — 21 41. सुबह — 75
2. ख़्वाब — 22 42. यादें — 77
3. रात — 23 43. निर्वासन — 78
4. दस्तक — 24 44. क्रांति — 79
5. ल़ज़ — 25 45. तुम्हारे लिए, बस — 80
6. आहटें — 26 46. न हुआ सूर, न तुलसी, न मैं कबीर हुआ — 81
7. परछाईं — 27 47. इतिदा — 82
8. रोशनी — 28 48. कह तेरा अ़फसाना है या? — 84
9. गुमान — 29 49. इश़्क अंधा है इसमें या देखें — 85
10. अहसास — 30 50. दिल को अब वार ही किया जाए — 86
11. सिरफिरी लड़की — 32 51. अब मुझे तुझसे प्यार है तो है — 87
12. कुछ टूटे-फूटे आखर — 33 52. दिल में नगमानिगार रहता है — 88
13. तसवीर — 34 53. इश़्क अब इंक़लाब तक पहुँचे — 89
14. नियागरा की शाम — 35 54. आईना हैं तो आईना रहिए — 90
15. हिज्र — 37 55. सऱिफरे लोग प्यार करते हैं — 91
16. चुनरी — 39 56. व़ते-रु़खसत यूँ करम फरमाइए — 92
17. आँखें — 40 57. जब तमन्ना जवान होती है — 93
18. नदी — 41 58. तुम्हारे प्यार का मौसम — 94
19. गर्द — 42 59. आपको और आज़माना या? — 95
20. चल तुझे लिखें — 43 60. दिल का ही ज़़म हरा है अब तक — 96
21. रंग तेरे फ़ागुनी — 44 61. ज़िंदगी की उड़ान बा़की है — 97
22. हार — 45 62. तेरा मौसम है बदलियों की तरह — 98
23. इशारा — 47 63. दिल में हर व़त बे़करारी है — 99
24. नशा — 48 64. अपनी साँसों में महक बन के उतर जाने दो — 100
25. शाम — 49 65. दिल में इक आग और आँखों में समंदर लेकर — 101
26. याद रखना — 50 66. इश़्क में जी लगा के देख लिया — 102
27. तलाश — 53 67. खा लें क़समें, तेरा वहम जी लें — 103
28. तसव्वुर — 54 68. भूलकर शिकवे-गिले, अब आइए — 104
29. रहगुज़र — 55 69. मुसकराती मौत जैसी ज़िंदगी का शहर है — 105
30. क़त्ल — 56 70. रौशनी है तो झिलमिलाकर देख — 106
31. उ़फक — 57 71. इश़्क करना हमारी आदत है — 107
32. भरम — 58 72. इतनी कड़वी, कि पी नहीं जाती — 108
33. गठरी — 59 73. बरसती बारिशों की धुन पे लम्हे गुनगुनाते हैं — 109
34. अंदाज़ — 62 74. जुल्फ गिरकर सँभल रही होगी — 110
35. दर्द का मुहावरा — 63 75. आज फिर चार सू बिखरे हुए हैं आप — 111
36. स़फेद संगमरमर का सपना — 65 76. आवारा अश्आर — 112

The Author

Madhup Mohta

जन्म :  28  जनवरी,  1960, जलालाबाद (उ.प्र.) 
शिक्षा : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान से स्नातक (1981)। दो वर्ष तक आपात चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्य। रेलवे सुरक्षा बल में सहायक अधीक्षक (1984)। भारतीय विदेश सेवा में 1985 से कार्यरत। हांगकांग, काठमांडू, बैंकॉक तथा लंदन के भारतीय राजदूतावासों में नियुक्ति। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् के निदेशक (2003-2005), भारतीय विदेश सेवा संस्थान के निदेशक (2005-2007)। 
कृतित्व : ‘अटलजी बाई रंगा’ (2002); ‘एट होम इन द वर्ल्ड’ (2004); ‘इंडियन फॉरेन पॉलिसी : अपॉर्च्युनिटीस ऐंड चैलेंजेस’ (2007); ‘गगनांचल तथा इंडियन हॉरिजन’ (2003-2005) का संपादन। काव्य-संग्रह ‘समय सपना और तुम’ (2003)।
सम्मान : मैथिलीशरण गुप्त सम्मान (2003), महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान (2004)।
दूरदर्शन पर गज़लों का प्रसारण।

 

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