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Tumhari Jay   

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Author Ashutosh Shukla
Features
  • ISBN : 9789353221935
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : Ist
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Ashutosh Shukla
  • 9789353221935
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • Ist
  • 2019
  • 176
  • Hard Cover

Description

सृष्टिकर्ता की तरह साहित्यकार भी अपने अपने ढंग से अपने देश, उसकी संस्कृति, परंपरा और इतिहास को व्याख्यायित करता है, नई स्थापनाएँ देता है। जैसे गंगा में कई नदियों का पानी, अनेक पर्वतों की मिट्टी और औषधीय तत्त्व मिलकर उसे उर्वरता प्रदान करते हैं, उसी प्रकार साहित्य को भी अनेक विधाएँ समृद्ध करती हैं। आशुतोष शुक्ल प्रयोगधर्मी लेखक हैं, जिन्होंने एक नई ‘संभाषी’ विधा से साहित्य को समृद्ध किया है। उनके शब्द लगातार पाठकों से बतियाते रहते हैं। सहजै सहज समाना की तरह वह अपनी शैली में सिद्धहस्त हैं। कम शब्दों में कही गई उनकी बात पानी की बूँद की तरह फैलती जाती है और फैलकर पूरी नदी बन जाती है। छोटे-छोटे वाक्यों में गुरुत्वाकर्षण सा बल है। उनकी संभाषी विधा साहित्य में नया गवाक्ष खोलती है जहाँ से ‘तुम्हारी जय’ का आख्यान साफ-साफ देखा जा सकता है। ‘तुम्हारी जय’ उन छोटी-छोटी बातों की बात करती है जो सदियों से भारतवासियों को गढ़ रही हैं। ‘तुम्हारी जय’ अनुपम और संग्रहणीय कृति है और भारत के इतिहास और समाज को देखने का नया दर्पण भी।

The Author

Ashutosh Shukla

आशुतोष शुक्ल
लखनऊ में रहनेवाले आशुतोष शुक्ल तीस वर्षों से पत्रकारिता में हैं। उनकी अभी तक तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं—पहली बनारस, दूसरी पत्रकारिता और तीसरी युवाओं पर। इतिहास, समाज और संस्कृति उनकी रुचि के विषय हैं। वह मानते हैं कि देश की अनेक समस्याओं का मूल उसकी दोषपूर्ण शिक्षा व्यवस्था में छुपा है और यही कारण है कि शैक्षिक परिसरों से लेकर बौद्धिक जुटानों तक भारत की परंपराएँ और प्राचीन इतिहास या तो उपेक्षित किए गए या फिर उनका शृंखलाबद्ध, संगठित और नियोजित उपहास उड़ाया गया। स्वतंत्रता पूर्व से आरंभ भारतीयों का आत्मसम्मान छीनने की यह दुर्भाग्य कथा जारी है। इससे लड़ना होगा...साहित्य, शिक्षा और रंगकर्म जैसे हथियारों से...

 

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