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भारत के उपराष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी एक कुशल राजनयिक, समर्पित शिक्षाविद् तथा प्रखर वक्ता हैं। यह पुस्तक अनेक विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों, सेमिनारों, व्यवसायियों की बैठकों में, पुस्तकों के लोकार्पणों, समारोहों और औपचारिक उद्घाटनों में दिए गए महत्त्वपूर्ण भाषणों का संकलन है। इसमें विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के अनेक जटिल और अनुत्तरित प्रश्न तथा ज्वलंत मुद्दे शामिल हैं। इन भाषणों में राष्ट्रीय कार्यसूची के बहुत व्यापक विषय भी आ गए हैं, और ये भारत की वर्तमान और भविष्य की अवस्थाओं को बनानेवाले मूल तत्त्वों को प्रकट करते हैं। भारतीय लोकतंत्र विशाल है, तो इसकी समस्याएँ भी अधिक संख्या में हैं।
भारत का भविष्य उज्ज्वल है, स्वर्णिम है। भारत वैश्विक स्तर पर
उभर रहा है और आज पूरे विश्व में
इसकी एक विशिष्ट पहचान है। उभरते भारत के समक्ष खड़े कुछ सवालों को भारत के द्वितीय सर्वोच्च नागरिक डॉ. हामिद अंसारी ने देखा-समझा है और अपनी चिंतनपरक लेखनी से इनका समाधान देने का प्रयास किया है।
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अनुक्रम
1. सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा कृषि का विकास — 7
2. असली भारत गाँवों में बसता है — 12
3. विश्व बाजार में भारत की भूमिका — 17
4. जीवन बीमा और सुखी जीवन — 21
5. गाँवों का औद्योगिक विकास — 26
6. सामाजिक दायित्व के मायने — 36
7. लोकतंत्र में निर्वाचन आयोग की भूमिका — 40
8. शासन और लोक सेवा — 42
9. फिजिकल इंटिग्रेशन एंड इमोशनल इनकॉन्शोनेंस — 47
10. हमारी विरासतों की जड़ें बहुत गहरी हैं — 56
11. वैश्वीकृत जगत् में भारतीय संस्कृति — 61
12. तुर्की और भारत का सांस्कृतिक संबंध — 69
13. इतिहासकार और ऐतिहासिक तथ्य — 78
14. शिक्षा और रोजगार — 84
15. तकनीकी शिक्षा के विधि आयाम — 91
16. विधि शिक्षा का महत्त्व — 97
17. ऊर्जा और संसाधन संस्थान — 103
18. इक्कीसवीं सदी में ऊर्जा के विभिन्न स्रोत — 107
19. विश्व और जल संकट — 113
20. पर्यावरण पर मँडराते काले बादल — 119
21. विश्व-शांति का उत्तरदायित्व — 123
22. हिंद महासागर का जीवन में महत्त्व — 133
23. स्किल डेवलपमेंट के बढ़ते कदम — 143
24. नाभिकीय हथियारों से मुक्त विश्व की ओर — 153
25. रक्षा विज्ञान के क्षेत्र में भारत — 160
26. भारत-अमेरिकी संबंध — 172
27. भारत और मध्य एशिया — 174
28. पहचान, नागरिकता और सशक्तीकरण — 179
29. उर्दू मीडिया — 193
30. भारतीय भाषाएँ — 197
31. नई शताब्दी में भारतीय मीडिया — 207
32. पत्रकारिता के बदलते आयाम — 211
33. राज्य अल्पसंख्यक आयोग — 216
34. 21वीं सदी में महिलाओं की शिक्षा का महत्त्व — 220
35. विकसित भारत में राज्यों की भूमिका — 228
36. लोकतंत्र में सचेतक की भूमिका — 232
37. भारतीय संसदीय प्रणाली — 239
38. चुनाव, प्रतिनिधित्व और लोकतंत्र — 242
39. चिकित्सा शिक्षा का योगदान — 249
40. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य — 256
41. लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका — 260
42. विविधता का समायोजन — 268
43. भारत में मानवाधिकार — 277
44. लोकतंत्र और चुनाव सुधार — 282
45. सार्वजनिक जीवन में सदाचार — 288
46. भारतीय विज्ञान संस्थान का महत्त्व — 297
47. विज्ञान कांग्रेस — 304
48. कानून, पुलिस और जनता : संतुलन की अनिवार्यता — 308
49. रामेश्वर नाथ काव का जीवन-दर्शन — 316
50. हमारा राष्ट्र उद्यमशीलता के उत्साह से भरा हुआ है — 327
51. बुद्धिजीवी वर्ग और समाज : भूमिका व उत्तरदायित्व — 331
52. समाज-शास्त्र में हो रहे प्रयोग कारगर हैं — 345
53. विचारों का चरागाह — 351
54. युवा शक्ति देश की मूल्यवान् संपत्ति है — 356
मोहम्मद हामिद अंसारी अगस्त 2007 से भारत के उपराष्ट्रपति हैं।
डॉ. एस. राधाकृष्णन के बाद वे एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो इस पद पर लगातार दो बार निर्वाचित हुए। राज्यसभा के पदेन उपसभापति होने के साथ ही डॉ. अंसारी विश्व मामलों की भारतीय परिषद् तथा भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के अध्यक्ष, और दिल्ली, पंजाब तथा पुदुचेरी विश्वविद्यालयों के कुलपति भी हैं।
लगभग चार दशकों के राजनयिक कॅरियर में उन्होंने अफगानिस्तान, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में भारत के राजदूत, ऑस्ट्रेलिया में भारत के उच्चायुक्त और न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में काम किया है। वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पश्चिम एशियाई और अफ्रीकी अध्ययन केंद्र तथा जामिया मिल्लिया इसलामिया में तृतीय विश्व अध्ययन अकादमी में विजिटिंग प्रोफेसर रह चुके हैं। वे अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय के उपकुलपति और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं।