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कंप्यूटर युग में कंप्यूटर के समान ही गुणग्राही है लघुकथा। आपको विश्व की कोई भी जानकारी चाहिए, दुनिया के किसी भी कोने में संदेश प्रेषित करना है—इंटरनेट पलों में आपकी समस्या का समाधान कर देता है। इसी प्रकार आज के व्यस्त जीवन से कुछ क्षण चुराकर आप साहित्य की लघु परंतु विशाल आयामों को सकेंद्रित करती इस विधा के माध्यम से बौद्धिक रसपान का आनंद ले सकते हैं।
प्रसिद्ध कथाकार अशोक गुजराती की लघुकथाएँ इस मापदंड पर पूरी तरह खरी उतरती हैं। इनमें उन्होंने अलग-अलग विषयों को उठाया है। समाज में व्याप्त विडंबनाओं पर व्यंग्यात्मक प्रहार करने की कला में वे निष्णात हैं। इन सभी लघुकथाओं को अद्यतन चर्चित एवं निष्पादित श्रेष्ठ लघुकथा के लिए आवश्यक पैमानों की कसौटी पर आप कसकर देखें तो पाएँगे कि हर दृष्टि से ये सारी रचनाएँ परिपूर्ण हैं।
इन लघुकथाओं से गुजरकर उनके अंत को आत्मसात् करने के पश्चात् पाठक को ऐसा लगेगा, जैसे वह पर्वतारोहण के किसी अभियान पर निकला हो और शिखर पर पहुँचकर खुले आसमान के नीचे अपने फेफड़ों को ताजा हवा से उत्फुल्ल कर आत्मिक संतुष्टि तथा प्रफुल्लता की अनुभूति का अनुभव कर रहा हो। विकलता भरा उसका यही संतोष निर्धारित करता है इन लघुकथाओं के रचयिता की यशस्विता का!
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अनुक्रम | 57. अंतर —Pgs. 100 |
अलग अहसास —Pgs. 7 | 58. संस्कृति —Pgs. 101 |
1. श्रेणी-भेद —Pgs. 13 | 59. टिंडा —Pgs. 102 |
2. बेवजह पागल : एक फंतासी —Pgs. 15 | 60. कर्म —Pgs. 104 |
3. भटकन —Pgs. 16 | 61. पैमाना —Pgs. 105 |
4. अनजान —Pgs. 17 | 62. जाल —Pgs. 107 |
5. नाता —Pgs. 19 | 63. समरूपता —Pgs. 108 |
6. आक्रोश —Pgs. 20 | 64. दुर्योग —Pgs. 109 |
7. यथावत् —Pgs. 22 | 65. शहादत —Pgs. 111 |
8. नौकरी चाहिए? —Pgs. 24 | 66. असहयोग —Pgs. 112 |
9. तेरा मुझको अर्पित, या लागे मेरा —Pgs. 25 | 67. अच्छा कौन? —Pgs. 114 |
10. बेटी, तू तो बची रह... 27 | 68. स्वत्व —Pgs. 115 |
11. धर्म —Pgs. 28 | 69. तन-मन —Pgs. 116 |
12. हवा —Pgs. 30 | 70. परिणति —Pgs. 117 |
13. मानुख —Pgs. 32 | 71. मौत संवेदना की —Pgs. 118 |
14. रिश्ते —Pgs. 33 | 72. प्रस्फुटन —Pgs. 120 |
15. अंतरण —Pgs. 35 | 73. पानी —Pgs. 122 |
16. पाठक की पीठ पर बेताल —Pgs. 37 | 74. हवास —Pgs. 124 |
17. शापग्रस्त —Pgs. 39 | 75. कितने? —Pgs. 126 |
18. बारी —Pgs. 41 | 76. थ्रिल —Pgs. 127 |
19. मर्दानगी —Pgs. 43 | 77. जादूगर —Pgs. 128 |
20. मारना कितना आसाँ —Pgs. 45 | 78. स्पर्श —Pgs. 129 |
21. एक रात की बात —Pgs. 47 | 79. चक्र —Pgs. 131 |
22. माचो —Pgs. 49 | 80. चित-पट —Pgs. 133 |
23. स्वाभिमान —Pgs. 50 | 81. माँ —Pgs. 134 |
24. अंदाज नया —Pgs. 51 | 82. बेचारा राक्षस! —Pgs. 135 |
25. भेडि़या-धसान —Pgs. 52 | 83. लोगो, तुम ऐसे यों हो? —Pgs. 136 |
26. रिले रेस —Pgs. 53 | 84. जरूरत —Pgs. 138 |
27. झाँसा —Pgs. 55 | 85. असर शून्य! —Pgs. 139 |
28. हींग लगे न फिटकरी —Pgs. 57 | 86. आम के आम —Pgs. 141 |
29. बरास्ता बदी —Pgs. 58 | 87. सेनापति —Pgs. 143 |
30. आम खयाल —Pgs. 60 | 88. पराकाष्ठा —Pgs. 145 |
31. आक्रांति —Pgs. 61 | 89. राहत —Pgs. 146 |
32. हो सकता है —Pgs. 62 | 90. नेताजी —Pgs. 147 |
33. अपना-अपना सच —Pgs. 64 | 91. अफसोस —Pgs. 148 |
34. एवज —Pgs. 65 | 92. बैंक में हिजड़े —Pgs. 149 |
35. तीसरा —Pgs. 66 | 93. दही-छाछ की खरीद —Pgs. 150 |
36. अनंतर —Pgs. 68 | 94. वैन का पीछा —Pgs. 151 |
37. ऐसा यों? —Pgs. 70 | 95. व्यवस्था —Pgs. 152 |
38. खोखल —Pgs. 71 | 96. जननी और जनता —Pgs. 153 |
39. खटका —Pgs. 73 | 97. मैं नहीं वो... 155 |
40. प्रतिगमन —Pgs. 75 | 98. नहीं...नहीं... 156 |
41. ठिठोली —Pgs. 76 | 99. कूटनीति —Pgs. 157 |
42. उलटफेर —Pgs. 77 | 100. प्रशंसक —Pgs. 158 |
43. कथनी-करनी —Pgs. 79 | 101. इस बहाने —Pgs. 159 |
44. विमर्श —Pgs. 80 | 102. विलोम —Pgs. 160 |
45. द्रष्टा —Pgs. 81 | 103. राह —Pgs. 161 |
46. हम-हम हैं! —Pgs. 83 | 104. सामाजिकता —Pgs. 162 |
47. गोरखधंधा —Pgs. 85 | 105. स्वांग —Pgs. 163 |
48. सेल का खेल —Pgs. 86 | 106. सम्मुख प्यार के —Pgs. 165 |
49. ...बदनाम बुरा —Pgs. 88 | 107. सनक —Pgs. 166 |
50. प्रीति का रसायन —Pgs. 90 | 108. सच बताना! —Pgs. 168 |
51. पुनर्वास —Pgs. 91 | 109. कसक —Pgs. 169 |
52. पराजय —Pgs. 93 | 110. तरकीब —Pgs. 170 |
53. तलाश —Pgs. 95 | 111. उजाले की मौत —Pgs. 172 |
54. अनपेक्षित —Pgs. 96 | 112. नीयत की अनियत नियति —Pgs. 173 |
55. आकलन —Pgs. 97 | 113. विश्वास की मिठास —Pgs. 175 |
56. परनाला और दंगा —Pgs. 98 | 114. मान —Pgs. 176 |
जन्म : 26 जुलाई, 1947 को महाराष्ट्र के अकोला जिले के अकोट कस्बे में।
शिक्षा : एम.एस-सी., एम.ए., पी-एच.डी. (हिंदी), डी.आर.एल., डी.डी.ई.
प्रकाशन : ‘अंगुलीहीन हथेली’ (कहानी संग्रह); ‘तुम क्या जानो’ (लघुकथा संग्रह); ‘पंछी-सी उड़ान’, ‘सृष्टि की रचना’, ‘कालू का कमाल’, ‘लालची भालू’, ‘घमंडी घोड़ा’, ‘खुशी के दीये’ (बाल कथा संग्रह); ‘सौर जगत् का एक बंजारा’ (लेख संग्रह); ‘ओन हेनरी की कहानियाँ’ (अनुवाद); ‘जंगल में चुनाव’ (बाल उपन्यास); ‘विज्ञान : हँसते-हँसते’ (दो खंड) और प्रतिष्ठति पत्र-पत्रिकाओं में 350 से अधिक रचनाएँ प्रकाशित।
पुरस्कार : ‘अंगुलीहीन हथेली’ केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा पुरस्कृत, ‘पंछी-सी उड़ान’ महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी से पुरस्कृत।
संप्रति : रसायन शास्त्र के वरिष्ठ व्याख्याता के पद से सेवानिवृत्त