Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Ummeed   

₹400

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Sanjay Sinha
Features
  • ISBN : 9789351869771
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Sanjay Sinha
  • 9789351869771
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2016
  • 232
  • Hard Cover
  • 300 Grams

Description

कल शाम मैं एक रेस्त्राँ में बैठा था। बगलवाली मेज पर एक दंपती था। मैं हैरान था कि दोनों करीब आधा घंटा वहाँ रहे, लेकिन आपस में एक शब्द भी बात नहीं की। दोनों लगातार अपने-अपने मोबाइल फोन पर लगे रहे। आखिर तकनीक ने हमें एक-दूसरे के करीब किया है या दूर। दूसरी मेज पर भी वही हाल था। पुरुष अपने साथ आईपैड जैसी कोई चीज लिये हुए था और उसमें फिल्म देख रहा था। महिला लगातार फोन पर लगी थी।
मुझे लगा आधुनिकता अपने साथ अकेलापन लेकर आगे बढ़ रही है। सड़कें चमचमा रही हैं, शहर जगमगा रहा है, पर आदमी तन्हा है।
पता नहीं, लोग इस सच को समझते हैं या नहीं, पर अकेलापन एक सजा है। रेस्त्राँ में लोग एकांत की तलाश में आते हैं और अकेले होकर चले जाते हैं।

________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम

उम्मीद —Pgs. 5

1. उम्मीद के फूल  —Pgs. 11

2. अंतिम दर्शन —Pgs. 13

3. मिसेज सनेम —Pgs. 15

4. लक्ष्मीजी आई हैं —Pgs. 18

5. बहन की दुआएँ —Pgs. 21

6. जीत की हार —Pgs. 24

7. सबसे बड़ी सज़ा —Pgs. 28

8. मुझे बिटिया ही कीजो —Pgs. 32

9. मुझे औरत का दिल चाहिए —Pgs. 35

10. काटो मत, खोलो —Pgs. 38

11. चार लोग —Pgs. 41

12. तुम छोड़ दो —Pgs. 44

13. अविश्वास का रिश्ता —Pgs. 47

14. रेत पर नाम —Pgs. 50

15. उम्मीद का पत्थर —Pgs. 53

16. समझदारी का टच —Pgs. 56

17. लैंप पोस्ट के नीचे सुई —Pgs. 59

18. जा जी ले, सिमरन —Pgs. 62

19. नदी और नमक —Pgs. 65

20. हँसता हुआ जो जाएगा —Pgs. 69

21. नाचो सारे, जी फाड़ के —Pgs. 72

22. मुति की पहचान  —Pgs. 76

23. ऐसी यों हैं महिलाएँ —Pgs. 79

24. मशीन और मनुष्य —Pgs. 82

25. एक अकेला शिखर पर —Pgs. 85

26. कंधे पर संसार —Pgs. 89

27. पहले तुम —Pgs. 92

28. चार शादियाँ —Pgs. 96

29. वरदान, जो बन गया शाप —Pgs. 100

30. मुझे माँ बनना है —Pgs. 103

31. एक और विजय —Pgs. 106

32. पानी और दूध —Pgs. 110

33. उम्मीद और ज़िंदगी —Pgs. 113

34. अभी कुछ बाकी है —Pgs. 118

35. फँसना जरूरी है —Pgs. 121

36. पापा सुनो —Pgs. 124

37. असली बिल्ली —Pgs. 127

38. गुड वॉय —Pgs. 130

39. रणछोड़ बनो —Pgs. 133

40. गिद्ध का लंच —Pgs. 140

41. मेरे घर आना माँ —Pgs. 143

42. जल्दी का काम —Pgs. 147

43. दो अकेले शहर में —Pgs. 150

44. जेट लैग —Pgs. 152

45. आई लव यू —Pgs. 156

46. मार्क जरूर आएगा —Pgs. 159

47. कमाई की कटाई —Pgs. 162

48. सबसे बड़ा शोध —Pgs. 165

49. पहले उसके दस्तखत लाओ  —Pgs. 170

50. तुम पार्क में खेलो —Pgs. 174

51. खुशी का कारोबार —Pgs. 177

52. हँसिए मत, कोसिए मत —Pgs. 180

53. गमले का पौधा —Pgs. 184

54. मिश्रा आंटी —Pgs. 187

55. चुटकी बजा के —Pgs. 190

56. कर्ज, फर्ज और मर्ज —Pgs. 193

57. दिल है कि मानता नहीं —Pgs. 196

58. जली हुई रोटियाँ —Pgs. 199

59. मेरी दीदी उफक —Pgs. 202

60. गुड न्यूज है —Pgs. 205

61. माँ! तुझे सलाम —Pgs. 209

62. कहानी गीता की  —Pgs. 212

63. दो दिल मिले —Pgs. 216

64. बड़ा घर चाहिए —Pgs. 219

65. नया घर मतलब नया संसार —Pgs. 223

66. मिलना धूमकेतु से  —Pgs. 226

67. अधूरे सपने  —Pgs. 230

 

The Author

Sanjay Sinha

आजतक में बतौर संपादक कार्यरत संजय सिन्हा ने जनसत्ता से पत्रकारिता की शुरुआत की। दस वर्षों तक कलम-स्याही की पत्रकारिता से जुड़े रहने के बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। कारगिल युद्ध में सैनिकों के साथ तोपों की धमक के बीच कैमरा उठाए हुए उन्हीं के साथ कदमताल। बिल क्लिंटन के पीछे-पीछे भारत और बँगलादेश की यात्रा। उड़ीसा में आए चक्रवाती तूफान में हजारों शवों के बीच जिंदगी ढूँढ़ने की कोशिश। सफर का सिलसिला कभी यूरोप के रंगों में रँगा तो कभी एशियाई देशों के। सबसे आहत करनेवाला सफर रहा गुजरात का, जहाँ धरती के कंपन ने जिंदगी की परिभाषा ही बदल दी। सफर था तो बतौर रिपोर्टर, लेकिन वापसी हुई एक खालीपन, एक उदासी और एक इंतजार के साथ। यह इंतजार बाद में एक उपन्यास के रूप में सामने आया—‘6.9 रिक्टर स्केल’। सन् 2001 में अमेरिका प्रवास।

11 सितंबर, 2001 को न्यूयॉर्क में ट्विन टावर को ध्वस्त होते और 10 हजार जिंदगियों को शव में बदलते देखने का दुर्भाग्य। टेक्सास के आसमान से कोलंबिया स्पेस शटल को मलबा बनते देखना भी इन्हीं बदनसीब आँखों के हिस्से आया।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW