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Upyogi Vastuon Ke Aavishkar   

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Author Vinod Kumar Mishra , Laxman Prasad
Features
  • ISBN : 9789386001634
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Vinod Kumar Mishra , Laxman Prasad
  • 9789386001634
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2021
  • 184
  • Hard Cover
  • 200 Grams

Description

कल्पना कीजिए कि हमारे पास साबुन न होता, शौचालय का फ्लश न होता, कपड़े न होते, बिजली न होती, थर्मामीटर न होता तो हमें कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता । हम अपने दैनिक जीवन में अनेक छोटी-बड़ी चीजों का उपयोग करते हैं । देखने में इन अत्यंत साधारण वस्तुओं के पीछे अनेक आविष्कारकों का परिश्रम छिपा है, जिन्होंने पिछले सैकड़ों-हजारों वर्षों में इन्हें तैयार किया और हमारे उपयोग लायक बनाया । आविष्कारों की यह प्रक्रिया हजारों वर्षों से चल रही है और भविष्य में भी चलती ही रहेगी।
प्रस्तुत पुस्तक के लेखन के दौरान लेखक द्वय ने अनेक पुस्तकों व प्रामाणिक स्रोतों से सामग्री जुटाई है और तथ्यों को हू-ब-हू प्रस्तुत किया है । इसमें विश्‍‍व के महान् युग- प्रवर्तक आविष्कारकों के जीवन-पहलुओं को तो उजागर किया ही गया है, साथ ही उनके आविष्कार की प्रक्रिया को भी सरल और सुबोध भाषा में वर्णित किया गया है । हमें विश्‍वास है, यह पुस्तक पाठकों को पसंद आएगी और उनके बुद्धि-विकास तथा ज्ञान-कोष को बढ़ाने में उपयोगी सिद्ध होगी ।

The Author

Vinod Kumar Mishra

जन्म : 12 जनवरी, 1960 को इटावा (उ.प्र.) में।
शिक्षा : विकलांग होने के बावजूद हाई स्कूल तथा इंटरमीडिएट की परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कीं। सन् 1983 में रुड़की विश्‍वविद्यालय से इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्‍त कर सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) में सहायक अभियंता के रूप में नियुक्‍त हुए। विभिन्न विभागों में काम करते हुए आजकल मुख्य प्रबंधक के रूप में काम कर रहे हैं।
अब तक कुल 32 पुस्तकें तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 300 लेख प्रकाशित।
पुरस्कार-सम्मान : सन् 1996 में राष्‍ट्रपति पदक, 2001 में ‘हिंदी अकादमी सम्मान’ तथा योजना आयोग द्वारा ‘कौटिल्य पुरस्कार’। सन् 2003 में अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय द्वारा ‘प्राकृतिक ऊर्जा पुरस्कार’, 2004 में राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा ‘सृजनात्मक लेखन पुरस्कार’, विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा ‘डॉ. मेघनाद साहा पुरस्कार’ तथा महासागर विकास मंत्रालय द्वारा ‘हिंदी लेखन पुरस्कार’।

 

Laxman Prasad

19 अक्‍तूबर 1930 को अलीगढ़ (उ.प्र.) में जन्म । सन् 1952 में आगरा विश्‍‍वविद्यालय से विज्ञान विषयों में स्नातक तथा लखनऊ विश्‍वविद्यालय से 1954 में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्‍त की । सन् 1962 से 1984 तक तीन बड़े उद्यमों में कार्य किया । फिर ग्लैक्सो कंपनी में आए जहाँ उन्हें आविष्कारक बनने का अवसर मिला । उन्होंने रेलवे के लिए टिकट छापने की एक अत्यंत उपयोगी मशीन बनाई । उन्होंने एक मिनी माइक्रो प्रिंटर तैयार किया, जो बैच नंबर, तारीख आदि आसानी से छापने लगा ।
उनके विशिष्‍ट विज्ञान योगदान के लिए उन्हें ' विज्ञान रत्‍न ' सहित सात राष्‍ट्रीय और तीन प्रांतीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया । हाल ही में आविष्कारों पर लिखी उनकी तीन महत्त्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित हुईं ।

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