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Urmila Shirish Ki Lokpriya Kahaniyan   

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Author Urmila Shirish
Features
  • ISBN : 9789353223588
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Urmila Shirish
  • 9789353223588
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 176
  • Hard Cover

Description

उर्मिला शिरीष की कहानियाँ चाहे वह ‘प्रार्थनाएँ’ हो या ‘राग-विराग’ या ‘उसका अपना रास्ता’ या ‘बाँधो न नाव इस ठाँव बंधु!’ संबंधों की ऐसी मर्मगाथाएँ हैं, जो पाठकों को भीतर तक उद्वेलित और आंदोलित कर देती हैं। अपने आसपास के परिवेश, समाज, पर्यावरण तथा सरोकारों की तसवीर प्रस्तुत करती इन कहानियों में जीवन के बिंब सघनता के साथ उभरकर आते हैं। वर्चस्व और सामंतवादी सोच के प्रतिरोध में खड़े उनके पात्र संवेदना, मनुष्यता और करुणा की रसधार से मन-मस्तिष्क को आप्लावित कर देते हैं। आज जब कहानियाँ सायास विचार और फॉर्मूला के बोझ से आक्रांत बना दी जाती हैं, ऐसे में उर्मिला शिरीष की कहानियाँ जीवन की समग्रता को समेटे ‘कहानीपन’ पठनीयता और सहजता जैसे अद्भुत गुणों की बानगी प्रस्तुत करती हैं। उर्मिला शिरीष की कहानियाँ प्रेमचंद की परंपरा से आती हैं, जहाँ जीवन का यथार्थ है तो जीने की इच्छा को फलीभूत करता मार्ग भी। उनकी कहानियों में स्त्री जीवन के कई रूप हैं, तो बच्चों की, युवाओं की एकदम ईमानदार भावछवि भी। वे वृद्ध जीवन के ऐसे अनदेखे पक्ष उजागर करती हैं, जहाँ हम प्रायः अपनी दृष्टि को ठहरा देते हैं। प्रेम और घृणा, संघर्ष और जिजीविषा के, राग और द्वेष के बीच बहते जीवन को उनकी मनोवैज्ञानिक दृष्टि पाठकों के सामने ऐसे सहज ढंग से रख देती है कि वे चकित रह जाते हैं।
उर्मिला शिरीष के व्यापक रचना-संसार की कुछ लोकप्रिय कहानियों का संकलन।

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अनुक्रम

यानी पाठकों के हृदय में बैठी कहानियाँ —Pgs. 7

1. प्रार्थनाएँ —Pgs. 17

2. बिवाइयाँ —Pgs. 26

3. राग-विराग —Pgs. 33

4. रोटियाँ —Pgs. 39

5. दीवार के पीछे —Pgs. 47

6. अपराधी —Pgs. 60

7. लकीर —Pgs. 64

8. उसका अपना रास्ता —Pgs. 78

9. निर्वासन —Pgs. 110

10. बाँधों न नाव इस ठाँव बंधु!  —Pgs. 131

11. पत्ते झड़ रहे हैं —Pgs. 148

The Author

Urmila Shirish

जन्म :19 अप्रैल,1959
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), पी-एच.डी., डी.लिट्. (आद्योपांत प्रथम श्रेणी)।
प्रकाशन : ‘वे कौन थे’, ‘मुआवजा’, ‘सहमा हुआ कल’, ‘केंचुली’, ‘शहर में अकेली लड़की’, ‘रंगमंच’, ‘निर्वासन’, ‘पुनरागमन’, ‘लकीर तथा अन्य कहानियाँ’, ‘प्रेम संबंधों की कहानियाँ’, ‘कुर्की तथा अन्य कहानियाँ’ (कहानी संग्रह); ‘धूप की स्याही’, ‘खुशबू’ (संपादित कहानी संग्रह); ‘सृजन यात्रा’ (गोविंद मिश्र पर केंद्रित), ‘प्रभाकर श्रोत्रिय : आलोचना की तीसरी परंपरा’ (संपादित)।
पुरस्कार-सम्मान : ‘समय स्मृति साहित्य पुरस्कार’, ‘वागीश्‍वरी पुरस्कार’ ‘डॉ. बलदेव मिश्रा पुरस्कार’, कहानी संग्रह ‘निर्वासन’ को 2004 का ‘निर्मल पुरस्कार’, ‘पुनरागमन’ को ‘वर्मा कथा सम्मान 2007’। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, संस्कृति विभाग, भारत सरकार की फैलोशिप। अनेक राष्‍ट्रीय पुरस्कारों तथा सम्मानों की समिति में निर्णायक। दूरदर्शन (नेशनल) द्वारा कहानी ‘पत्थर की लकीर’ पर टेलीफिल्म। कई विश्‍वविद्यालयों में उनके साहित्य पर शोध-कार्य।
संप्रति : ‘प्रवासी हिंदी साहित्य में जीवन की छवियाँ : भूमंडलीकरण के पश्चात्’ विषय पर शोधरत।

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