₹500
अब हीरा ज्यादा ही घबरा गया था और सोचने लगा अब क्या करूँ! उसने फिर कॉल किया। रिंग होते ही बोला, ‘‘मैडम कॉल काटिएगा नहीं...मैं पल्लवी के भले के लिए बोल रहा हूँ।’’
‘‘आप कौन हैं?’’
हीरा ने बिना देर किए सीधे बोला, ‘‘जी पल्लवी का एक्सीडेंट हो गया है...मैं उसे हॉस्पिटल लेकर आया हूँ।’’
‘‘एक्सीडेंट?’’
‘‘जी हाँ!’’
‘‘ओ माई गॉड!...कैसी है वो!’’
‘जी ठीक नहीं है...डॉक्टर तुरंत इनके गार्जियन को खोज रहे हैं...मैं इनके गर्जियन के बारे में कुछ नहीं जानता...!’’
‘‘जी मेरा नाम अनुजा है...अभी पल्लवी कहाँ हॉस्पिटलाइज है?’’
हीरा, ‘‘जी अभी मगध मेडिकल कॉलेज में है।...अभी पल्लवी बेहोश है...इसलिए मैं आपको तकलीफ दे रहा हूँ...कृपया इनके गार्जियन का नंबर और पता दे सकती हैं?...आप भी आकर देख लेती इनकी हालत...ठीक नहीं है।’’
—इसी संग्रह से
उपन्यासकार राजकुमार चौधरी का जन्म 12 फरवरी, 1959 को ग्राम केनासराय, जिला नवादा (बिहार) के एक निर्धन परिवार में हुआ।