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‘वाद-विवाद का अर्थ है— सार्वजनिक बैठक में आयोजित विभिन्न विषय अथवा एक ही विषय पर की गई औपचारिक चर्चा, जिसमें लोग एक-दूसरे के तर्कों का विरोध करते हैं।’
बोलना जीवन की स्वाभाविक क्रिया होने के साथ-साथ एक कला भी है, जिसकी नींव छात्र जीवन में ही पड़नी आरंभ हो जाती है। विद्यालयों में एक तरफ जहाँ पठन-पाठन पर जोर दिया जाता है, वहीं दूसरी तरफ पाठ्येतर गतिविधियों पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है, ताकि छात्र का सम्यक् विकास हो सके।
विद्यालयों में कविता पाठन, संभाषण तथा वाद-विवाद जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन करके छात्रों की प्रतिभा को तलाशने व निखारने का कार्य किया जाता है। यह पुस्तक उन सभी अभिभावकों, छात्रों तथा अध्यापकों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है, जिनकी इस विषय की पुस्तक की सदैव तलाश रही है। सभी वाद-विवाद विविध विषयों पर आधारित तथा तत्कालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखकर लिखे गए हैं। विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस पुस्तक के प्रायः सभी वाद-विवाद तथा संभाषण पुरस्कृत हैं।
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अनुक्रम
वाद-विवाद — 7
संभाषण — 11
भूमिका — 13
लेखिका की कलम से — 15
1. विज्ञापन उपभोक्ताओं को गुमराह कर रहे हैं — 21
2. समावेशी शिक्षा प्रणाली समाज के लिए आवश्यक — 25
3. किताबी शिक्षा की अपेक्षा व्यावहारिक शिक्षा अधिक उपयोगी है — 29
4. विद्यालय में पर्याप्त शिक्षण न होने के कारण कोचिंग आज की आवश्यकता बन गई है — 33
5. आज की नारी क्रांतिकारी है — 37
6. आरक्षण प्रतिभा का हनन करती है — 41
7. नारी को समानाधिकार भारत के विकास में बाधक है — 45
8. लोकतंत्र की अपेक्षा तानाशाही व्यवस्था ही भारत की समस्याओं का हल है — 49
9. आधुनिकता की दौड़ में हमारे नैतिक मूल्य कहीं खो गए हैं — 52
10. जोश में होश खोना जरूरी है — 56
11. क्या हम आतंकवाद से स्वयं लड़ने में सक्षम हैं? — 60
12. चीख की अपेक्षा मौन ज्यादा प्रभावशाली है — 64
13. कंप्यूटर अध्यापक का सही विकल्प है — 68
14. गांधीगीरी रंगीली दुनिया की रंगीन कल्पना है — 71
15. छात्रों द्वारा मोबाइल फोन का प्रयोग सही या गलत — 75
16. शिक्षा में प्रतियोगिता की आवश्यकता — 80
17. बच्चों को रिएलिटी शो में भाग लेना चाहिए — 84
18. मानवता विनाश की ओर जा रही है — 88
19. कलयुग की रीत है भाई, कहो सबकुछ करो कछु नाहिं — 92
20. ऑनलाइन शॉपिंग से मानव को लाभ होता है — 95
21. मूल्यों की दुहाई, मूल्यों से कमाई — 99
22. आज की राजनीति नेता नहीं, अभिनेता पैदा कर रही है — 102
23. व्यवस्था व भ्रष्टाचार के प्रति हम उदासीन हैं — 106
24. निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय — 109
25. हाँ, हम सभ्य हैं — 113
26. बाल-अपराधियों के प्रति सहानुभूति न्यायसंगत है — 117
27. युवाओं में देशभक्ति की भावना का ह्रास हो रहा है। — 121
28. नैतिक मूल्य पाठ्य-पुस्तकों तक ही सीमित हैं — 125
29. क्या स्कूल यूनीफॉर्म से स्कूल में बेहतर सीखने का वातावरण बनता है? — 129
30. अंक-आधारित बोर्ड परीक्षा प्रणाली ही सर्वोत्तम है — 133
31. जन-संचार की अति सक्रियता उचित है — 136
32. ‘सत्यमेव जयते’ — 139
33. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देशहित के लिए जरूरी है। — 143
संभाषण
34. असफलता खोलती है सफलता के द्वार — 149
35. युवा वर्ग में बढ़ती सामाजिक अनुशासनहीनता दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति का परिणाम है — 151
36. महत्त्वाकांक्षा अपराध को जन्म देती है — 154
37. शिक्षक और छात्र का संबंध आज के संदर्भ में — 156
38. भ्रष्टाचार के लिए व्यक्ति जिम्मेदार है या व्यवस्था? — 159
39. शहरों में बढ़ते अपराध — 162
40. ये कहाँ आ गए हम प्रगति के नाम पर — 166
41. पश्चिमी सभ्यता का भारतीयों पर क्या प्रभाव पड़ा? — 168
42. पेरेंट बनाम पैशन — 171
43. प्रतिभा-पलायन समस्या व समाधान — 174
श्रीमती श्रद्धा पांडेय ने तीन दशक पहले मेयो कॉलेज से अपनी अध्यापन यात्रा आरंभ की, तत्पश्चात् इंडियन एंबेसी स्कूल, दम्माम (सउदी अरब), समरविल स्कूल, वसुंधरा एन्क्लेव (दिल्ली), आर्मी स्कूल, कालूचक (जम्मू) में कार्य किया तथा वर्तमान में एह्ल्कॉन पब्लिक स्कूल, मयूर विहार (दिल्ली) में कार्यरत हैं। अध्यापन के साथ-साथ विद्यालय में बच्चों के लिए नाटक, कहानी लिखना तथा विभिन्न पाठ्येतर गतिविधियों के लिए बच्चों को तैयार करना उनकी विशेष रुचि रही है। अध्यापिका के साथ-साथ वे एक सफल लेखिका भी हैं। उनकी कहानियाँ नवगीत, बाल भारती, नंदन, बाल प्रहरी, बालवाणी, मार्डेन एजूकेशन, साहित्य गंधा, गुफ्तगू आदि पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर छपती रहती हैं। उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘सतरंगी दुनिया के अठरंगी सपने’, ‘समय की रेत पर’, ‘हाथी मेरे साथी’ व ‘झिलमिल तारे आँखों में सारे’।
अध्यापन काल में समय-समय पर छात्रों को वाद-विवाद तथा भाषणों के लिए प्रेरित व प्रशिक्षित करती रहीं; फलतः छात्रों के लिए उत्तम स्तर के वाद-विवादों तथा भाषणों का उनके द्वारा संकलन एक पुस्तक के रूप में पाठकों के लिए प्रस्तुत है।
सम्मान : गोमती गौरव सम्मान, शब्द शिल्पी सम्मान, वामा सम्मान, अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास सम्मान, पंडित शिव प्रसाद शिक्षक साहित्यकार सम्मान।