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VAH EK AUR MAN...   

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Author Praveen Kumar
Features
  • ISBN : 9789390378975
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Praveen Kumar
  • 9789390378975
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2021
  • 176
  • Soft Cover

Description

ये ज़रूरी नहीं कि सबका सच एक हो जाए, 
सबके अहसासात एक हो जाएँ, 
सबके नज़रिए, 
सबके फलस़फे एक हो जाएँ

न मैं अपने जज़्बों को खुद थाम पाया
कहाँ होंठ सीना, न मैं जान पाया
सर्दजोशी का आलम, सुलगती़िफज़ाएँ
न वो चुप हुआ है और न मैं बाज़ आया।

रु़खसती रु़ख बदलने का भी नाम है
बेरु़खी रोकना आज़माइश मेरी
आँसुओं सा निकलकर कहाँ चल दिए
धूल सी भर गई है नुमाइश मेरी।
—इसी संग्रह से

इस काव्य-संकलन में मानवीय रिश्तों का स्थायी भाव प्रेम, यत्र-तत्र-सर्वत्र है और उसी में रूबरू हुए दिल को छूनेवाले तमाम  मंजरों का मर्यादित तस्करा भी है। समय के प्रवाह में जज्बातों को थामने, उनसे गुफ्तगू करने की कशिश गीतों और नज्मों में मुसलसल है, तो मसरूफियत के आगोश में अपनों से दूर हो जाने की पीड़ा भी कमोबेश इसमें शामिल है।

The Author

Praveen Kumar

प्रवीण कुमार
पिता का नाम : श्री शिव कुमार त्रिपाठी
माता का नाम : श्रीमती निशा त्रिपाठी
सेवा : भारतीय पुलिस सेवा, (उ.प्र.) 2001
वर्तमान पद : पुलिस महानिरीक्षक, मेरठ परिक्षेत्र, मेरठ।
शिक्षा : 1. बी.ई. (ऑनर्स) सिविल, बी.आई.टी.एस., पिलानी।
2. एल.एल.बी.
3. एल.एल.एम.
गृह जपनद : जालौन (उ.प्र.)
पूर्व नियुक्तियाँ : एस.डी.एम. बारा,  सदर इलाहाबाद (संप्रति प्रयागराज), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक चंदौली, बाराबंकी, इटावा, मुजफ्फरनगर, गौतम बुद्ध नगर, डी.आई.जी. लखनऊ रेंज, आई.जी. कानून व्यवस्था (उ.प्र.) इत्यादि महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे।

 

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