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भारतीय संस्कृति की महानता का मूल ज्ञान गणित ही है, जिसका आदि स्रोत वैदिक वाड्मय है । आठ वर्ष सतत साधना के उपरांत जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री भारतीकृह्यातीर्थजी ने इस मान्यता को और बल दिया । स्वामीजी द्वारा वेदों से प्राप्त गणितीय सूत्रों को आधार बनाकर सरल- सुबोध भाषा में प्रस्तुत पुस्तक की रचना की गई है., जिसका उद्देश्य वैदिक गणित के प्रचार एवं प्रसार के साथ-साथ राष्ट्रीय गौरव की अभिवृद्धि करना है । वैदिक गणित द्वारा न केवल अंकगणित, वरन् बीजगणित की सभी शाखाओं के प्रश्न शीघ्रता से हल किए जा सकते हैं ।
वैदिक बीजगणित में बीजगणित के प्रारंभिक प्रकरणों-बहुपदों के योग, व्यवकलन, गुणन, विभाजन, समीकरण, युगपत् समीकरण, आशिक शिन्न आदि से संबंधित प्रश्नों को आसान वैदिक रीति से हल करने के तरीके समझाए गए हैं । वैदिक विधियों के अनुप्रयोग को समझने के बाद छात्र अपनी बुद्धि और कौशल द्वारा उच्च बीजगणितीय प्रश्नों को हल करने की क्षमता व दक्षता प्राप्त कर सकेंगे । इस पुस्तक में कुछ नवीन सूत्रों का समावेश हुआ है, जो शोध के क्षेत्र में नए आयाम खोलेंगे ।
प्रस्तुत पुस्तक की वैदिक विधियाँ इतनी सरल, सुग्राह्य एवं सुस्पष्ट हैं कि न केवल गणित के विधार्थी, अपितु जनसामान्य भी सहज रूप से इन विधियों को आत्मसात् कर अपनी अनेक समस्याओं का निराकरण कर सकता है ।
जन्मतिथि : 18 जुलाई, 1948 ।
शिक्षा : एम. एस - सी. (गणित), बी. एड. प्रवक्ता, गणित, एम. एल. इंटर कॉलेज, सहपऊ, मथुरा (उ. प्र.) ।
प्रकाशन : अब तक वैदिक अंकगणित, वैदिक बीजगणित, मीठा बोलें, सुखी रहें और सामान्य गणित, पेचीदे प्रश्न पुस्तकें प्रकाशित।
अनेक शोध - पत्र प्रकाशित । विज्ञान व गणित की अनेक पुस्तकों के लेखन में संलग्न । ' वैदिक अंकगणित ' और ' वैदिक बीजगणित ' विशेष लोकप्रिय ।
शिक्षा : एम.एस-सी., एम. एड., डिप्लोमा इन कॉमनवेल्थ एजूकेशन एडमिनिस्ट्रेशन ( बर्मिंघम विश्वविद्यालय) ।
शिक्षण अनुभव : शिक्षक-प्रशिक्षक के रूप में गणित, विज्ञान, जीव विज्ञान शिक्षण का चौबीस वर्ष का अनुभव ।
प्रकाशित पुस्तकें : ' विज्ञान प्रशिक्षण ', ' गणित प्रशिक्षण ', ' खेल -खेल में गणित ', ' जीव विज्ञान ', ' शैक्षिक तकनीकी ', ' शिक्षण अधिगम के आधारभूत तत्व', ' सूक्ष्म शिक्षण ', ' गणित के रोचक खेल ' तथा एन. सी. सी. प्रशिक्षण से संबद्ध अनेक पुस्तकें प्रकाशित ।