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Author Shireesh Gopal Deshpande
Features
  • ISBN : 9789384343538
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more

More Information

  • Shireesh Gopal Deshpande
  • 9789384343538
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2016
  • 144
  • Hard Cover

Description

वैकल्य अर्थात् विकलता। कुष्ठरोग पर आधारित हिंदी में संभवतः यह पहला क्लासिकल और मूल ललित शैली में लिखा गया उपन्यास है। इसने कुष्ठ रोगियों के पुनर्वास और उपचार को लेकर समाज में लोगों की आँखें खोलने का काम किया है। उपन्यास का कथानक अंतर्मन को छू लेता है। विषय बहुत ही हृदयस्पर्शी और दिलचस्प है। यह दो महापुरुषों के मौन संघर्ष की गाथा है। एक वह जो, समाजसेवी हैं, कुष्ठरोगियों के लिए आश्रम व्यवस्था की बात करते हैं, तो दूसरे वह, जो प्रख्यात डॉक्टर हैं, अस्पताल व्यवस्था की बात करते हैं और रोगियों का इलाज घर से ही होना चाहिए—इसका पुरजोर समर्थन करते हैं। कुल मिलाकर कुष्ठरोग को लेकर वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण के बीच की यह गहरी खाई सशक्त कथ्य के ताने-बाने से बुनी एक करुण-गाथा है। दोनों महापुरुषों की पत्नियों का अपने पति और उनके कार्य के प्रति त्याग और समर्पण की कहानी भी गजब की है।
कुष्ठरोग को महारोग के नाम से भी जाना जाता है, जिसके प्रति लोगों के मन में कई प्रकार के भ्रम, भय और अंधविश्वासी भावनाएँ थीं। इस रोग के संसर्ग की स्थिति, टीके का आविष्कार, उपलब्ध दवाइयाँ, देश-विदेश के अनुसंधानकर्ताओं की मान्यताएँ, सरकारी रवैया, रोगियों का देश निकाला, पाप-पुण्य जैसे मुद्दों को लेकर यह उपन्यास वैचारिक द्वंद्व पेश कर जनजागरण की स्थिति पैदा करता है।

 

The Author

Shireesh Gopal Deshpande

प्रो. डॉ. शिरीष गोपाल देशपांडे (बी.एससी., एम.ए., पी-एच.डी., डिप. इन फ्रेंच, FUWAI से मानद उपाधि प्राप्त) 
जन्म : 20 दिसंबर, 1952 को वर्धा, महाराष्ट्र में। एस.एन.डी.टी. विश्वविद्यालय से मराठी विभाग प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त। मराठी भाषा और संस्कृति के एक प्रतिभा संपन्न व्यक्तित्व। उपन्यासकार, नाटककार, ललित लेखनकार, पत्रकार, संपादक, विज्ञान-कविता के प्रणेता-कवि, प्रखर वक्ता, राजनीति के अभ्यासक। दो दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। आठ पुस्तकों का संपादन, दर्जन भर से अधिक सिनेमा-टी.वी. सीरियल्स के गीत, पटकथा एवं संवाद लेखन। दर्जन भर से अधिक पुस्तकें प्रकाशनाधीन। साहित्य से संबंधित दर्जनों संस्थाओं के पदाधिकारी एवं मार्गदर्शक। कई प्रतिष्ठित सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त। 

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