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वायु सेना में सक्रिय योगदान देने के इच्छुक महत्त्वाकांक्षी नवयुवक एवं नवयुवतियों के लिए यह उपन्यास एक सुनहरा अवसर है, विशेष रूप से इसलिए भी, क्योंकि यह वायुयोद्धाओं के रैंक क्रम की सहज जानकारी के संग वायु सेना की विभिन्न शाखाओं; जैसे—फ्लाइंग, इंजीनियरिंग, मेडिकल, लॉजिस्टिक्स, प्रशासन, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, फाइटर कंट्रोल इत्यादि का परिचय देने में भी सक्षम रहा है। इसके अतिरिक्त वायु सेना में प्रयुक्त विभिन्न सेरेमोनियल व फील्ड ड्रेस, प्राथमिक तथा अतिरिक्त सेवाओं, महिला अधिकारियों की भूमिका, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित कल्याणकारी उपक्रमों तथा सुविधाओं, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान वायु सेना का योगदान, वायुयोद्धाओं को प्रदत्त आर्थिक सुविधाओं तथा उच्च शिक्षा के अवसरों, नवीन वैपन प्लेटफॉर्म व तकनीकी परिवर्तनों की जानकारी, विभिन्न एडवेंचर गतिविधियों के परिचय के साथ-साथ वर्तमान संचार व तकनीकी परिदृश्य में वायुयोद्धाओं हेतु आवश्यक बढ़ती सजगता व सतर्कता का संदेश देने में भी यह वास्तव में उल्लेखनीय प्रयास है।
इस उपन्यास को पढ़ना जहाँ वायु-योद्धाओं के लिए आनंददायक अनुभव है, वहीं नई पीढ़ी के कर्णधारों के लिए वायु सेना के जीवन की एक झलक व उसके करीब आने का एक माध्यम है। निमिष के द्वारा लिखित यह उपन्यास, वायु सेना की विविध जानकारियों को राष्ट्रभाषा हिंदी में प्रस्तुत एक नवीन प्रयास के रूप में गिना जा सकता है।
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अनुक्रम
वायु सैन्य अधिकारियों का रैंक —Pgs. 7
1. फर्ज और माँ —Pgs. 9
2. कैंसर —Pgs. 14
3. अफसरान-ए-हिंद —Pgs. 17
4. जीवन-यात्रा —Pgs. 22
5. टच दी स्काई विद ग्लोरी (Touch the Sky with Glory) —Pgs. 27
6. तकदीर की तलाश —Pgs. 32
7. ससुराल की देहरी —Pgs. 42
8. हिलती-धरती, छँटती धूल —Pgs. 55
9. बदलते घर —Pgs. 70
10. वायु-चक्षु —Pgs. 87
11. देश-प्रेम —Pgs. 105
12. अफवा गान —Pgs. 128
13. अफवा कल्याणकारी अनुदान योजनाएँ —Pgs. 129
14. अफवा छात्रवृत्ति योजना और पात्रता —Pgs. 132
विंग कमांडर निमिष जैन भारतीय वायु सेना में वर्ष 1997 में पायलट ऑफिसर के रैंक पर कमीशन अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए थे। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी.ई., एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डी आई ए टी, पूना से एम टेक तथा सिंबयोसिस पूना से मार्केटिंग में बिजनेस एडमिनिस्टे्रशन की शिक्षा प्राप्त की है। एम टेक के दौरान उन्हें ब्रिटिश एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन लिमिटेड ट्रॉफी, डॉ. बी एन सिंह अवार्ड तथा गोल्ड मैडल से सम्मानित किया गया है। वायु सेना में विगत 18 वर्षों में उन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियर (इलेक्ट्रॉनिक) के रूप में मिसाइल्स तथा रेडार के क्षेत्र में भारतीय वायु सेना के तीन बड़े केंद्रों अंबाला, जोधपुर व भुज में अपनी सेवाएँ दी हैं। इसके अतिरिक्त भारतीय वायु सेना के सबसे बड़े मिसाइल तथा रेडार बेस रिपेयर डिपो, 7 बी आर डी में मानवीय संसाधन तथा उत्पादन क्षेत्र में कार्यरत रहे हैं। वर्ष 2010 में उन्हें वायु सेना में सार्थक कर्तव्य-निष्ठा एवं कार्य कुशलता हेतु वायु अफसर कमांडिंग इन चीफ, अनुरक्षण कमांड द्वारा प्रशंसा-पत्र प्रदान किया गया था। उन्हें वायु सेना पब्लिसिटी हेतु विभिन्न इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट कॉलेजों में मोटिवेशन लेक्चर देने का अवसर भी प्राप्त हुआ है। वायु सेना के विभिन्न संस्थानों में भिन्न-भिन्न प्रकार के महत्त्वपूर्ण दायित्व निभा चुके विंग कमांडर निमिष जैन वर्तमान में एयरमैन प्रमोशन एक्जाम से संबंधित रीजनल एक्जामिनेशन बोर्ड (ईस्ट) में तैनात हैं।