₹300
यह पुस्तक भारतीय सेना के वीरों की गाथा है । बहुत खेद की बात है कि इनमें से अधिकांश पराक्रमी वीरों, जिनमें से कुछ ने तो देश के लिए अपने जीवन का बलिदान भी दिया है, के बारे में सेना में भी कोई खास जानकारी नहीं है और सामान्य जनता में तो शायद ही कोई जानता होगा ।
विश्वास है कि इस पुस्तक के माध्यम से भारतीय सेना के इन वीरों और शहीदों को सही पहचान मिल पाएगी; और यह पहचान भारतीय सेना के अफसरों एवं जवानों को प्रेरणा भी देगी । साथ ही यह भी आशा की जाती है कि राष्ट्र के लिए इन वीरों ने जो महान् कार्य किया है, उससे सेना की नई पीढ़ी में एक नया विश्वास पैदा होगा ।
यह पुस्तक मुख्य रूप से युवा अफसरों और सिपाहियों के लिए लिखी गई है । यह इन्हें हमारी सैन्य संस्कृति की परंपराओं की याद दिलाएगी । साथ ही आम पाठकों में भी वीरोचित एवं साहसिक कार्यों के लिए यह प्रेरणा- दायक सिद्ध होगी, ऐसा विश्वास है ।
श्री किट्टू रेड्डी का जन्म सन् 1936 में आध्र प्रदेश में हुआ था । सन् 1941 में पाँच साल की उम्र में इनके माता-पिता इन्हें श्री अरबिंदो आश्रम, पांडिचेरी ले गए । तभी से यह वहाँ रहे हैं । इनकी शिक्षा आश्रम के स्कूल में हुई और बाद में उच्च शिक्षा श्री अरबिंदो अंतरराष्ट्रीय शिक्षा केंद्र में हुई । सन् 1958 से यह श्री अरबिंदो अंतरराष्ट्रीय शिक्षा केंद्र में पढ़ाते रहे हैं । इनके विषय भारतीय संस्कृति, राजनीति विज्ञान और इतिहास हैं ।
1987 से यह भारतीय सेना के विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों और कमान मुख्यालयों में व्याख्यान देते रहे हैं । सन् 1994 में स्वर्गीय जनरल बी सी जोशी ने इन्हें सेना कल्याण शिक्षा संस्था का सलाहकार नियुक्त किया । तभी से यह मानव संसाधन विकास और प्रोत्साहन जैसे विंषयों के संबंध में सेना के साथ पूरी तरह से जुड़े हुए हैं । इन्होंने पांडिचेरी और सेना प्रशिक्षण केंद्रों में सेना के लिए प्रेरणा, नेतृत्व और भारत राष्ट्र विषयों पर कई कार्यशालाएँ आयोजित की हैं ।