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"वेताल पच्चीसी 25 कहानियों का एक अनूठा संग्रह है, जो जगत्-प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य के न्याय-प्रेम के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है | प्रत्येक कहानी के अंत में वेताल विक्रमादित्य से गुदगुदाने वाला एक प्रश्न पूछता है, जिसका उत्तर राजा को देना होता है | जैसे ही विक्रमादित्य उत्तर देते हैं, पहले से तय शर्त के अनुसार, वेताल फिर से अपने पसंदीदा पेड़ पर लटकने के लिए उड़ जाता है।
ये कहानियाँ राजा विक्रमादित्य के ज्ञान, न्यायप्रियता, प्रजाप्रेम, शौर्य और मूल्ययरक शासन से परिचय करवाती हैं। इन्हें पढ़कर पाठकों को तत्कालीन शासन व्यवस्था का बोध हो सकेगा।"
हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य।
हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैं—मध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार’, समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि।
संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।