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Vibhajit Savera   

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Author Manu Sharma
Features
  • ISBN : 9788173156304
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Manu Sharma
  • 9788173156304
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2017
  • 280
  • Hard Cover

Description

मनु शर्मा के तीन उपन्यासों की शृंखला की यह तीसरी और अंतिम कड़ी है। इसका कालखंड आजादी के बाद का है। गुलामी की जंजीरें कटने के बाद देश ने आजादी का सवेरा देखा, पर यह सवेरा विभाजित था। देश दो भागों में बँट गया था—भारत और पाकिस्तान। अंग्रेज चाहते थे कि दोनों देश हमेशा एक-दूसरे के विरोधी बने रहें। एक ओर वे जिन्ना की पीठ ठोंकते। दूसरी ओर ‘अमनसभाइयों’ को भी उत्साहित करते। अमनसभाई तो थे ही सुराजियों के विरोधी। फिरंगियों ने इनका संगठन बनाया ही इसीलिए था। अमनसभाई अंग्रेज अफसरों के यहाँ ‘डालियाँ’ भिजवाते रहे और सुराजियों की गुप्त सूचनाएँ भी उन्हें देते रहे। इसी उलझन में भारतीय राजनीति आगे बढ़ रही थी कि एक सिरफिरे हिंदू ने गांधीजी को गोली मार दी। अहिंसा का पुजारी हिंसा के घाट उतार दिया गया। इसके कारणों पर भी उपन्यास में विचार हुआ है। ‘टु नेशन थ्योरी’ के आधार पर सांप्रदायिक हिंसा का जो नंगा नाच हुआ, उसका भी चश्मदीद गवाह है यह उपन्यास। ‘विभाजित सवेरा’ खंडित भारत का सार्थक, संवेदनापूर्ण और यथार्थ चित्र प्रस्तुत करता है इसमें लेखक की अनुभूति की सघनता, आत्मीयता और भावुकता है। कथा अंत तक विभाजित सवेरे का दंश भोगती रहती है। आजादी की मरीचिका और देश के सामने मुँह बाए खड़ी ज्वंलत समस्याओं से अवगत कराता है—‘विभाजित सवेरा’।

The Author

Manu Sharma

मनु शर्मा ने साहित्य की हर विधा में लिखा है। उनके समृद्ध रचना-संसार में आठ खंडों में प्रकाशित ‘कृष्ण की आत्मकथा’ भारतीय भाषाओं का विशालतम उपन्यास है। ललित निबंधों में वे अपनी सीमाओं का अतिक्रमण करते हैं तो उनकी कविताएँ अपने समय का दस्तावेज हैं। जन्म : सन् 1928 की शरत् पूर्णिमा को अकबरपुर, फैजाबाद में। शिक्षा : काशी विश्‍वविद्यालय, वाराणसी।
किताबें : ‘तीन प्रश्‍न’, ‘राणा साँगा’, ‘छत्रपति’, ‘एकलिंग का दीवान’ ऐतिहासिक उपन्यास; ‘मरीचिका’, ‘विवशता’, ‘लक्ष्मणरेखा’, ‘गांधी लौटे’ सामाजिक उपन्यास तथा ‘द्रौपदी की आत्मकथा’, ‘द्रोण की आत्मकथा’, ‘कर्ण की आत्मकथा’, ‘कृष्ण की आत्मकथा’, ‘गांधारी की आत्मकथा’ और ‘अभिशप्‍त कथा’ पौराणिक उपन्यास हैं। ‘पोस्टर उखड़ गया’, ‘मुंशी नवनीतलाल’, ‘महात्मा’, ‘दीक्षा’ कहानी-संग्रह हैं। ‘खूँटी पर टँगा वसंत’ कविता-संग्रह है, ‘उस पार का सूरज’ निबंध-संग्रह है।
सम्मान और अलंकरण : गोरखपुर विश्‍व-विद्यालय से डी.लिट. की मानद उपाधि। उ.प्र. हिंदी संस्थान का ‘लोहिया साहित्य सम्मान’, केंद्रीय हिंदी संस्थान का ‘सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार’, उ.प्र. सरकार का सर्वोच्च सम्मान ‘यश भारती’ एवं साहित्य के लिए म.प्र. सरकार का सर्वोच्च ‘मैथिलीशरण गुप्‍त सम्मान’।
संपर्क : 382, बड़ी पियरी, वाराणसी।

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