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डॉ. लोहिया समाजवादियों से कहते थे कि तुम निरंतर अपने में बदलाव करते रहो। नीति और सिद्धांत का खूँटा पकडे़ रहो, परंतु रणनीति बदलते रहो। आज समग्रता में डॉ. लोहिया को पढ़ने, जानने और समझने की आवश्यकता है। वे कहा करते थे कि जब किसान का एक हाथ हल की मूठ पर रहेगा और दूसरी आँख दिल्ली की सत्ता पर रहेगी, उस दिन परिवर्तन आएगा। राह सही रहे, परंतु राही बदलते रहें तो चिंता नहीं— दृष्टि और दिशा सही रहनी चाहिए। मैं भी गाँववाला हूँ। किसान हूँ। अपनी भाषा में और अपनी दृष्टि से कुछ लिखता हूँ और बोलता हूँ। डॉ. लोहिया कहा करते थे कि कभी भी दो महापुरुषों में तुलना मत करना। समय, परिस्थति और कारण एक नहीं होते हैं। आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, प्रशासनिक और भौगोलिक परिस्थिति एक समान नहीं होती हैं। हर युग और समय में जो तत्कालीन और दीर्घकालीन परिस्थितियाँ होती हैं, उसी के अनुरूप काम करना पड़ता है। हर युग की अपनी समस्याएँ होती हैं, उनके निदान के उपाय खोजे जाते हैं। महापुरुषों की दृष्टि में समग्रता और व्यापकता के साथ-साथ करुणा होती है। वे समग्रता में चिंतन करते हैं और अपने तरीके से विश्लेषण करते हैं। भाषा और शब्दो में अंतर हो सकता है, परंतु भावना, चिंतन और दृष्टि में भेद नहीं होता है। समाजवादी विचारों से ओत-प्रोत आलेखों का संग्रह।
शिक्षा : स्नातक (अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र)।
कृतित्व : तीन बार बिहार विधानसभा के सदस्य, जे.पी. के बिहार आंदोलन में 1974 में विधानसभा से त्याग-पत्र, आपातकाल में बिहार के चार जेल के सेल में बंदी, 1977 में मधुबनी से लोकसभा सदस्य बने, 1980 से 1986 तक राज्यसभा सांसद, 1990-91 में लोकसभा में उप नेता जनता दल, दो विभागों के कैबिनेट मंत्री; 1993 में भाजपा में शामिल। 1999 में वाजपेयीजी की सरकार में राज्यमंत्री बने। 2009 और 2014 में लोकसभा सदस्य रहे। हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार एवं उत्थान में निरंतर क्रियाशील रहे।
पता : गाँव-बिजुली, पत्रालय-बिजुली, जिला-दरभंगा (बिहार)