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संविधान को जाननासमझना हर भारतीय, विशेषकर विद्यार्थियों के लिए महत्त्वपूर्ण है। संविधान को समझने से वे भारत के नागरिक के रूप में अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानेंगे। उनमें लोकतंत्र, समानता और न्याय के सिद्धांतों के प्रति गहरी समझ विकसित होगी।
इस पुस्तक को भारत का संविधान सरल और सुलभ तरीके से समझाने की दृष्टि से डिजाइन किया गया है। जटिल अवधारणाओं को आसान भाषा में समझाया गया है तथा सीखनेसमझने को मजेदार व आकर्षक बनाने के लिए उदाहरणों और चित्रों का भरपूर उपयोग किया गया है।
पुस्तक 'संविधान की अवधारणा और यह महत्त्वपूर्ण क्यों है,' इसका परिचय देकर शुरू होती है। यह बताती है कि संविधान देश के लिए एक नियमपुस्तिका की तरह है, जो नागरिकों के अधिकारों एवं कर्तव्यों को बताती है और यह निर्धारित करती है कि सरकार को कैसे कार्य करना चाहिए।
कुल मिलाकर 'विद्यार्थियों हेतु भारत का संविधान' विद्यार्थियों के लिए सरल और मनोरंजक तरीके से भारत के संविधान को जानने के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण, पठनीय व मननीय पुस्तक है।
किशोर मकवाणा धरातल के प्रजाजीवन एवं सामाजिक जीवन के अभ्यासी और उसकी समस्याओं के समाधान हेतु सतत चिंतन एवं मंथन करनेवाले वरिष्ठ कर्मठ पत्रकार-लेखक हैं।
ख्यातनाम यूनिवर्सिटी, शिक्षण संस्थाएँ एवं विविध सेमिनारों में विशेषज्ञ के रूप में व्याख्यानों के लिए आमंत्रित। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के करकमलों द्वारा ‘सामाजिक समरसता और भारतीय राष्ट्रवादी पत्रकारिता’ के लिए ‘नचिकेता पुरस्कार’ , नेपाल-इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्फ्रेंस द्वारा ‘तथागत पुरस्कार’, ‘प्रताप नारायाण मिश्र युवा साहित्यकार पुरस्कार’ एवं गुजरात सरकार द्वारा ‘गुजरात गौरव पुरस्कार’ से सम्मानित।
अभी तक उनकी ‘सामाजिक क्रांति के महानायक डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर’, ‘डॉ. आंबेडकर का विचार-वैभव’, ‘महामानव डॉ. आंबेडकर’, ‘युगपुरुष स्वामी विवेकानंद’, ‘राष्ट्रीय घटनाचक्र’, ‘संत रविदास’, ‘सफलता का मंत्र’, ‘समर नहीं समरसता’, ‘क्रांतिवीर बिरसा मुंडा’ और ‘कॉमन मैन नरेंद्र मोदी’ (चार भाषाओं गुजराती, हिंदी, अंग्रेजी, ओडि़या में) आदि लगभग 35 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। अनेक पुस्तकों का अनुवाद तथा संपादन भी।
गुजराती दैनिक ‘दिव्य भास्कर’ के स्तंभ लेखक। सामाजिक पत्रिका ‘संवेदना समाज’ के प्रकाशक।