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अपने मिनटों का ध्यान रखो, घंटे अपनी परवाह खुद कर लेंगे। हर काम को स्फूर्ति से निपटाएँ। टाल-मटोल न करें। अवसर को हाथ से न जाने दें। समय की कमी का रोना रोने की बजाय उसकी खेती करें, जो समय का ज्यादा दुरुपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज्यादा शिकायत करते हैं। यानी अपने 24 घंटे को किस तरह से 48 घंटे में बदल सकते हैं, वह करें। स्वेट मार्डेन का कहना है, ‘‘ईश्वर एक बार एक ही क्षण देता है और दूसरा क्षण देने के पूर्व उस क्षण को ले लेता है।’’ समय यानी टाइम का महत्त्व बताकर इसकी बखूबी मैनेजमेंट करना सिखानेवाली यह पुस्तक विद्यार्थियों को न केवल परीक्षाओं अपितु जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के मूलमंत्र बताती है।
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अनुक्रम
भूमिका —Pgs. 5
अपनी बात —Pgs. 9
1. टाइम मैनेजमेंट, लाइफ मैनेजमेंट —Pgs. 13
2. गांधीजी और टाइम मैनेजमेंट —Pgs. 22
3. टाइम मैनेजमेंट जीत है —Pgs. 28
4. समय सबसे बड़ा धन —Pgs. 33
5. समय का सदुपयोग ही सफलता —Pgs. 40
6. टाइम मैनेजमेंट लाता है आत्मविश्वास —Pgs. 49
7. एक कदम से शुरुआत —Pgs. 56
8. टाइम मैनेजमेंट और दृढनिश्चय —Pgs. 64
9. टाइम मैनेजमेंट और मल्टी-टास्किंग —Pgs. 69
10. कार्यों का वर्गीकरण —Pgs. 77
11. समय की मर्यादा को समझें —Pgs. 86
12. समय किसी का इंतजार नहीं करता —Pgs. 91
13. समय का सदुपयोग —Pgs. 97
14. बीता समय लौटकर नहीं आता —Pgs. 106
15. समय का मोल : सूतियाँ —Pgs. 116
ममता मेहरोत्रा
शिक्षा : एम.एस-सी. (प्राणी विज्ञान)।
कृतित्व : ‘अपना घर’, ‘सफर’, ‘धुआँ-धुआँ है जिंदगी’ (लघुकथा-संग्रह), ‘महिला अधिकार और मानव अधिकार’, ‘शिक्षा के साथ प्रयोग’, ‘विद्यार्थियों के लिए टाइम मैनेजमेंट’, ‘विश्वासघात तथा अन्य कहानियाँ’, ‘जयप्रकाश तुम लौट आओ’ तथा अंग्रेजी में ‘We Women’, ‘Gender Inequality in India’, ‘Crimes Against Women in India’, ‘Relationship & Other Stories’ & ‘School Time Jokes’ पुस्तकें प्रकाशित। RTE Act पर लिखी पुस्तक ‘शिक्षा का अधिकार’ काफी प्रसिद्ध हुई और अनेक राज्य सरकारों ने इस पुस्तक को क्रय किया है। उनकी पुस्तकें मैथिली में भी प्रकाशित हो चुकी हैं। कुछ संक्षिप्त डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का भी निर्माण किया है।
‘सामयिक परिवेश’ एवं ‘खबर पालिका’ पत्रिकाओं का संपादन। अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं से संबद्ध।
संप्रति : निशक्त बाल शिक्षा एवं महिला अधिकारों से संबंधित कार्यों में संलग्न।