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हम भारतीयों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सभी जरूरी संसाधन पर्याप्त मात्रा में देश में उपलब्ध हैं। हमारे यहाँ बहुत सी नीतियाँ और संस्थाएँ हैं। चुनौती है तो बस शिक्षकों, विद्यार्थियों और तकनीक-विज्ञान को एक सूत्र में पिरोकर एक दिशा में चिंतन करने की।
प्रस्तुत पुस्तक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में चिंतन के विविध आयामों को खोलती है, अनेक व्यावहारिक चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है और कई महत्त्वपूर्ण प्रश्न पाठकों के सामने रखती है। डॉ. कलाम देश के छात्र व युवा-शक्ति को भावनात्मक, नैतिक एवं बौद्धिक विकास की ओर प्रवृत्त होने का संदेश देते हैं। वैज्ञानिक और तकनीकी खोजों को सही ढंग से मनुष्य के विकास में उपयोग करने के विचार को बल देते हैं।
विजयी भव डॉ. कलाम के भारत को महाशक्ति बनाने के स्वप्न को दिशा देनेवाली कृति है। इसमें शिक्षा व शिक्षण की पृष्ठभूमि, मानव जीवन-चक्र, परिवारों के सदस्यों के बीच पारस्परिक संबंध, कार्य की उपयोगिता, नेतृत्व के गुण, विज्ञान की प्रकृति, अध्यात्म तथा नैतिकता पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है।
यह कृति डॉ. कलाम की पूर्व प्रकाशित पुस्तकों की श्रृंखला की महत्त्वपूर्ण कड़ी है, जो हमें सामाजिक एवं राष्ट्रीय जीवन में अपनी प्रवीणताओं और कुशलताओं के साथ विजयी होने की प्रेरणा देती है।
पूर्व मिसाइल वैज्ञानिक प्रो. अरुण तिवारी ने भारत की सेटैलाइट आधारित प्रथम टेली मेडिसन सेवा शुरू की थी। सन् 1987 से उन्होंने रचनात्मक विज्ञान लेखन प्रारंभ किया और अनेक पुस्तकें लिखीं, जिनमें डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के साथ लिखी बेस्टसेलर पुस्तकें ‘अग्नि की उड़ान’, ‘आरोहण’ व ‘हमारे पथ प्रदर्शक’ प्रमुख हैं।अरुण कुमार तिवारी बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं और केयर फाउंडेशन, हैदराबाद के निदेशक हैं।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के यशस्वी वैज्ञानिकों में से एक तथा उपग्रह प्रक्षेपण यान और रणनीतिक मिसाइलों के स्वदेशी विकास के वास्तुकार हैं। एस.एल.वी.-3, ‘अग्नि’ और ‘पृथ्वी’ उनकी नेतृत्व क्षमता के प्रमाण हैं। उनके अथक प्रयासों से भारत रक्षा तथा वायु आकाश प्रणालियों में आत्मनिर्भर बना।
अन्ना विश्वविद्यालय में प्रौद्योगिकी तथा सामाजिक रूपांतरण के प्रोफेसर के रूप में उन्होंने विद्यार्थियों से विचारों का आदान-प्रदान किया और उन्हें एक विकसित भारत का स्वप्न दिया। अनेक पुरस्कार-सम्मानों के साथ उन्हें देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया।
संप्रति : भारत के राष्ट्रपति।