₹250
विकिरण का सुसंयत और नियंत्रित उपयोग चिकित्सीय निदान और उपचार, खाद्य पदार्थों के परिरक्षण व प्रसंस्करण, औद्योगिक/विकिरण विज्ञान, शल्य चिकित्सा के यंत्रों व उपकरणों के निर्जर्मीकरण एवं कृषि अनुसंधान जैसे मानव जाति के लिए अनेक कल्याणकारी कार्यों में किया जाता है। दूसरी ओर नाभिकीय आयुधों के अविवेकपूर्ण और अनियंत्रित उपयोग से संपूर्ण मानव-जाति तथा अन्य प्राणि वर्ग एवं मानव सभ्यता कुछ ही मिनटों में समूल नष्ट हो सकती है। बढ़ते औद्योगिकीकरण, शहरीकरण के फलस्वरूप सूक्ष्म तरंग विकिरण (माइक्रोवेव विकिरण) का प्रकोप बढ़ रहा है। वर्तमान में मोबाइल फोन (सेलफोन) का प्रादुर्भाव होने से इससे होनेवाले रोगों की संख्या में भी निरंतर वृद्धि हो रही है।
इस लोकोपयोगी पुस्तक में विकिरण और सेलफोन से संबंधित यथासंभव समस्त जानकारी, यथा-विकिरण की प्रारंभिक जानकारी एवं मिथक, पुरातन परिदृश्य, वर्गीकरण, मापन, रेडियोएक्टिवता, विकिरण के स्रोत, रेडियो आइसोटोप एवं उनके उपयोग, मानव शरीर में विकिरणशील तत्त्व, विकिरण उद्भासन, विद्युत् चुंबकीय विकिरण, दूरसंचार, मोबाइल फोन, इसका विकास, सैटेलाइट फोन, विभिन्न प्रकार के मोबाइल फोन, सेलफोन, इसकी विशेषताएँ, विद्युत् चुंबकीय विकिरण के दुष्प्रभाव, मानक, स्मार्टफोन, सेलफोन टॉवर एवं सेलफोन के हानिकारक प्रभाव, इससे बचाव विषयक तकनीकी जानकारी सरल हिंदी भाषा में चित्रों सहित प्रदान की गई है।
______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
प्राकथन — Pg. 7
1. विकिरण — Pg. एक परिचय — Pg. 11
2. रेडियोएटिव पदार्थों की अर्धआयु — Pg. 13
3. विकिरण के प्रकार — Pg. 14
4. विकिरण मापने की इकाई — Pg. 20
5. प्राकृतिक विकिरण — Pg. 22
6. मानव शरीर में विकिरणशील तव — Pg. 30
7. घरों तथा इमारतों में विकिरणशील तव — Pg. 33
8. प्राकृतिक विकिरण डोज की मात्रा — Pg. 36
9. विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में विकिरण डोज — Pg. 37
10. विकिरण का मॉनीटरन या निगरानी — Pg. 38
11. मानव-निर्मित विकिरण — Pg. 39
12. साभिप्राय उत्पन्न विकिरण — Pg. 39
13. नाभिकीय परीक्षणों से उत्पन्न विकिरण — Pg. 46
14. नाभिकीय ऊर्जा और विकिरण जोखिम — Pg. 47
15. रेडियो समस्थानिक या आइसोटोप — Pg. 48
16. रेडियो समस्थानिकों (आइसोटोपों) के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग — Pg. 49
17. चिकित्सा में समस्थानिक — Pg. 49
18. कृषि क्षेत्र में समस्थानिकों के उपयोग — Pg. 55
19. विकिरण से पशुओं का रोग निदान — Pg. 59
20. उद्योगों में उपयोग — Pg. 60
21. विकिरण उपयोग से औद्योगिक समस्याओं का निराकरण — Pg. 63
22. खाद्य परिरक्षण में विकिरण — Pg. 64
23. ऊर्जा के क्षेत्र में समस्थानिक — Pg. 65
24. विकिरण के जैविक प्रभाव — Pg. 66
25. विकिरण की निरापद सीमाएँ और उच्चतर मात्राएँ — Pg. 67
26. विकिरण से सुरक्षा — Pg. 70
27. विकिरण के प्रभाव — Pg. 72
28. परमाणु ऊर्जा अधिनियम एवं विकिरण संरक्षण का विधान — Pg. 75
29. आम लोगों के लिए विकिरण सुरक्षा उपाय — Pg. 77
30. अलेजेंडर ग्राह्म बेल का अद्भुत उपहार टेलीफोन — Pg. 80
31. टेलीफोन की कार्यप्रणाली — Pg. 84
32. कार्डलेस टेलीफोन — Pg. 87
33. या है डिजिटल मोबाइल टेलीफोन? — Pg. 89
34. विद्युत् चुंबकीय विकिरण — Pg. 91
35. कहाँ से आती है विद्युत् चुंबकीय तरंगें? — Pg. 94
36. सूक्ष्म तरंग विकिरण-एक अभिशाप — Pg. 96
37. विकिरण के सामान्य खतरे — Pg. 102
38. मोबाइल फोन — Pg. 103
39. सेलफोन का आविष्कार — Pg. 105
40. मोबाइल की दूसरी उन्नत पीढ़ी — Pg. 108
41. आईएमआई नंबर — Pg. 109
42. नए मोबाइल फोन — Pg. 112
43. विभिन्न प्रकार के फोन — Pg. 116
44. मोबाइल टेलीफोन से संबंधित कुछ प्रमुख शद — Pg. 120
45. मोबाइल उपयोग करते समय ध्यान रखें — Pg. 121
46. सेलफोन की कार्य-प्रणाली — Pg. 125
47. मोबाइल फोन उपयोग करते समय सावधानियाँ — Pg. 127
48. मोबाइल फोन के खतरे अनेक — Pg. 128
49. मोबाइल फोन के दुष्प्रभावों पर वैज्ञानिकों के शोध परिणाम — Pg. 137
50. खतरों का खजाना है सेलफोन टॉवर — Pg. 141
51. सेल टॉवर विकिरण का पक्षियों पर प्रभाव — Pg. 145
52. सेलफोन टॉवर से होने वाले नुकसान के प्रचार-प्रसार में समाचार पत्रों की सक्रियता — Pg. 147
53. सेल टॉवर एवं मोबाइल फोन के विकिरण को कम करने के उपाय — Pg. 154
54. संदर्भ सूची — Pg. 159
डॉ. डी.डी. ओझा विगत चार दशक से हिंदी में विज्ञान लोकप्रियकरण हेतु रत हैं। उन्होंने विज्ञान के अनेकानेक विषयों पर उनके कई सौ आलेख, 95 शोधपत्र एवं 55 पुस्तकें हिंदी में प्रकाशित हैं। मूलतः रसायन विज्ञान के वरिष्ठ वैज्ञानिक रहे डॉ. ओझा ने विज्ञान के अनेक क्षेत्र में तथ्यपरक शोध कार्य किया है। उनकी उत्कृष्ट लेखन दक्षता का कई राज्यों एवं भारत सरकार ने सम्मान कर उन्हें कई राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों एवं सम्मानोपधियों से नवाजा है। डॉ. ओझा कई पत्रिकाओं के संपादन मंडल के सदस्य हैं।
प्रो. गिरीश कुमार ने आई.आई.टी. कानपुर से विद्युत् अभियांत्रिकी में वर्ष 1983 में पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। तत्पश्चात् वे दो वर्ष तक कनाडा के मेनिटोबा विश्वविद्यालय में रिसर्च एसोसिएट एवं 1985 से 1991 तक अमेरिका की नॉर्थ डकोटा विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर रहे। वर्तमान में वे आई.आई.टी. मुंबई के विद्युत् अभियांत्रिकी विभाग में प्रोफेसर हैं। उनके कार्य के प्रमुख क्षेत्र हैं—माइक्रोस्ट्रिप एंटिना और अॅरे, ब्रॉडबैंड एंटिना, सूक्ष्म तरंग समेकित सर्किट एवं सिस्टम। प्रो. गिरीश कुमार ने 5 पेटेंट दर्ज किए हैं। 250 से अधिक शोधपत्र शोध पत्रिकाओं और संगोष्ठियों में प्रकाशित किए हैं। एक दशक से सेलफोन एवं सेलफोन टॉवर विकिरण से होनेवाले दुष्प्रभावों पर अध्ययन कर रहे हैं तथा इस पर उन्होंने कई प्रतिवेदन प्रकाशित किए हैं।