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Author Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’
Features
  • ISBN : 9789390923915
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’
  • 9789390923915
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 04/09/2021
  • 144
  • Hard Cover
  • 250 Grams

Description

विनम्रता मानव जीवन में सबसे शक्तिशाली और महत्त्वपूर्ण गुणों में से एक है। विनम्र होना विश्वास बनाने में मदद करता है और सीखने की सुविधा देता है, जो नेतृत्व और व्यक्तिगत विकास के प्रमुख पहलू हैं।
नम्रता वस्तुतः वह भावना या दृष्टिकोण है, जहाँ आप स्वयं को विशेष महत्त्व न देकर अभिमान रहित, निस्स्वार्थ भाव से दूसरों की भलाई के विषय में तत्पर रहते हैं। पहली नजर में विनम्रता एक नकारात्मक गुण की तरह लग सकती है—एक ताकत के बजाय कमजोरी के संकेत की तरह, परंतु वास्तव में विनम्रता एक ऐसा गुण है, जो आपको दूसरों की अपेक्षा श्रेष्ठ स्थापित करते हुए आपके जीवन को बहुत आगे ले जाएगी। आइए, इसे दूसरे तरीके से देखें। जिस व्यक्ति में नम्रता का अभाव होता है, वह अपने बारे में सोचता है और खुद को दूसरों से ऊँचा और बेहतर देखता है। ऐसे व्यक्ति से सब बचना चाहते हैं।
हम जिस अहंकार के युग में रहते हैं, उसमें विनम्रता की शक्ति छिपी हुई है, उसे व्यक्तित्व का हिस्सा बनाना अत्यंत आवश्यक है। विनम्रता के लिए अत्यधिक आत्मज्ञान, आत्मनियंत्रण और आत्मसम्मान की आवश्यकता होती है।
चाहे व्यक्ति हो, संगठन हो या संस्था हो, विनम्रता से ही शिखर तक पहुँचा जा सकता है। इसलिए विनम्रता को सफलता का मूलमंत्र भी कहा गया है।
अगर नेतृत्व विनम्र है तो सब लोगों को साथ लेकर चलने की कला का स्वतः ही विकास हो जाता है। जरूरत पड़ने पर सब की सलाह और सहयोग लेने की क्षमता भी विकसित हो जाती है।

 

The Author

Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’

रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
जन्म : वर्ष 1959
स्थान : ग्राम पिनानी, जनपद पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)।
साहित्य, संस्कृति और राजनीति में समान रूप से पकड़ रखनेवाले डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की कहानी, कविता, उपन्यास, पर्यटन, तीर्थाटन, संस्मरण एवं व्यक्तित्व विकास जैसी अनेक विधाओं में अब तक पाँच दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित।
उनके साहित्य का अनुवाद अंग्रेजी, रूसी, फ्रेंच, जर्मन, नेपाली, क्रिओल, स्पेनिश आदि विदेशी भाषाओं सहित तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, संस्कृत, गुजराती, बांग्ला, मराठी आदि अनेक भारतीय भाषाओं में हुआ है। साथ ही उनका साहित्य देश एवं विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जा रहा है। कई विश्वविद्यालयों में उनके साहित्य पर शोध कार्य हुआ तथा हो रहा है।
उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए देश के चार राष्ट्रपतियों द्वारा राष्ट्रपति भवन में सम्मानित। विश्व के लगभग बीस देशों में भ्रमण कर उत्कृष्ट साहित्य सृजन किया। गंगा, हिमालय और पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन हेतु सम्मानित।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद तथा लोकसभा की सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति के सभापति।

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