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Author Pooja Lamba Cheema
Features
  • ISBN : 9789352660773
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Pooja Lamba Cheema
  • 9789352660773
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2017
  • 216
  • Hard Cover
  • 350 Grams

Description

इस पुस्तक को मैं अपनी विजय और ‘तथागत’ होने के अनुभव के मधुर स्वाद के साथ समाप्त कर सकती थी, पर यह सत्य नहीं होता। जब मैं इस स्वगत कथन को समाप्त करती हूँ, मुझे इस बात का अहसास है कि जीवन में उपलब्धि का उतना महत्त्व नहीं है जितना ज्ञान का। मैं मुक्त नहीं हूँ, लेकिन संभवतः मैं मुक्ति के मार्ग पर हूँ। मैं अपनी भ्रमशीलता, भेद्यता और नश्वरता को स्वीकार करती हूँ। स्वीकार्यता और चित्त की स्थिरता जीवन में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन ला सकती है। जब हम जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष करना रोक देते हैं और बस उनका प्रेक्षण करते हैं कि वे किसलिए हैं, तब ही कभी कुछ अनपेक्षित घट जाता है। हमारे जीवन में होनेवाले अधिकांश संघर्ष इसलिए होते हैं क्योंकि हम चीजों को अपनी इच्छानुसार ढालने के लिए प्रयासरत हो जाते हैं। हमारे जीवन में अधिकांश पीड़ा इसीलिए होती है क्योंकि चीजें हमारी योजनानुसार नहीं होतीं। जब हम शांत भाव से इस सत्य को स्वीकार कर लेते हैं, प्रकृति का नियम हमारे लिए काम करने लगता है और हम ब्रह्मांड के ऐश्वर्य से जुड़ जाते हैं।

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अनुक्रम

प्रस्तावना — 7

आभार — 11

1. आत्मानुभूति — यात्रा का आरंभ  — 15

2. एकाकी अन्वेषण — 25

3. पीड़ा से सन्निकटता — 44

4. त्वचा एवं अस्थियाँ — 61

5. श्वेत प्रकाश — 76

6. अदमनीय अभीप्सा — 93

7. बदतरीन की आशंका — 115

8. आत्म-पराजय — 133

9. स्वीकार्यता की शति — 148

10. अधिष्ठान — 174

11. जगत् में पुन: प्रवेश — 190

12. यात्रा का अंत — 203

उपसंहार — 207

The Author

Pooja Lamba Cheema

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