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Viraat Purush Arthashastri Nanaji   

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Author Nana Deshmukh
Features
  • ISBN : 9789351860785
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Nana Deshmukh
  • 9789351860785
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2017
  • 176
  • Hard Cover

Description

नानाजी ने समाजसेवा को नया आयाम दिया, एक नया रूप, जिसमें उन्होंने जनसाधारण की पहल और उसकी सहभागिता को प्रमुख स्थान दिया। गोंडा, बीड़, चित्रकूट व नागपुर प्रकल्पों के माध्यम से उन्होंने देश के सामने विकास का ऐसा मॉडल खड़ा किया, जो देशानुकूल होते हुए भी समयानुकूल था। सचमुच में वह पं. दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित एकात्म मानवदर्शन का मूर्त रूप था।
नानाजी का मत था कि ग्राम विकास का मूलमंत्र है स्वावलंबन। उसके बिना विकास एकतरफा व उथला है। वह प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करता है। समाज में विषमता पैदा करता है। मनुष्य को लालची बनाता है। समाज में अनावश्यक होड़ पैदा करता है। कृषि पर उनका विशेष बल था, लेकिन वे मानते थे कि कृषि-आधारित उद्योगों के विकास के बिना कृषि भूमि पर इतना बोझ बढ़ जाएगा कि वह अलाभकारी हो जाएगी।
लेकिन ऐसा करते वक्त वे दकियानूसी विचारों का प्रतिपादन कतई नहीं करते थे। वे नए वैज्ञानिक आविष्कारों व खोजों के अनुप्रयोग का बेहद आग्रह रखते थे। उनके बारे में जानने की उनके मन में हमेशा जिज्ञासा बनी रहती थी। कृषि विज्ञान केंद्र, आधुनिक प्रयोगशालाएँ, जमीनी प्रयोगशालाएँ तथा अनुसंधान केंद्र नानाजी की योजनाओं के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हिस्सा थे।

 

The Author

Nana Deshmukh

भारत के सार्वजनिक जीवन के तपस्वी कर्मयोगी नानाजी देशमुख राजनीति में रहकर भी जल में कमलपत्रवत् पवित्र रहने वाले एक निष्‍ठावान स्वयंसेवक थे। उनका जीवन समूचे देश की नई पीढ़ी को सतत देशभक्‍त‌ि, समर्पण व सेवा की प्रेरणा देता रहेगा।
उनका जीवन कृतार्थ जीवन था, इसलिए उनके पार्थिव का दृष्‍ट‌ि से ओझल होना मात्र शोक की बात नहीं है, बल्कि हम सभी के लिए स्वयं कृतसंकल्पित होने की बात है। उनके जीवन का अनुकरण अपने जीवन में करना, यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
मोहनराव भागवत
सरसंघचालक, राष्‍ट्रीय स्वयंसेवक संघ

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