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Viraat Purush Rashtrarishi Nanaji   

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Author Nana Deshmukh
Features
  • ISBN : 9789351860808
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Nana Deshmukh
  • 9789351860808
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2017
  • 216
  • Hard Cover

Description

एऋषि-तुल्य व्यक्ति, जिसने अपना संपूर्ण जीवन दीन-दुखियों की सेवा, मानव जीवन को सार्थक बनाने, भारतीय मूल्यों के संदर्भ में जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने, व्यक्ति, समाज व राष्ट्र को एकात्म करने, देश की राजनीति को नई दिशा देने, विकास का देशानुकूल, परंतु युगानुकूल प्रतिमान खड़ा करने में समर्पित कर दिया, ऐसे नानाजी राष्ट्रऋषि की परिभाषा बन चुके हैं। उन्होंने 12 वर्ष की अल्पायु में ही डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का भाषण सुनकर स्वयं को राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित कर स्वयंसेवक बनने का निश्चय कर लिया था। 
राजनीति में काम करने के बाद भी नानाजी संघ के प्रति पूरी तरह समर्पित रहे। यह भी सत्य है कि व्यावहारिक और तात्कालिक राजनीति के मामले में भी नानाजी का कोई सानी नहीं रहा। लेकिन जनसंघ हो या जनता पार्टी, नानाजी ने संघ के सिद्धांतों से समझौता नहीं होने दिया। जब 1979 में देश राजनीतिक झंझावात से गुजर रहा था, तब भी संघ के दृष्टिकोण से ही राजनीति का सिंहावलोकन करते हुए उन्होंने एक बहुचर्चित पुस्तक लिखी, जिसका शीर्षक ही था ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’।
आपातकाल के पश्चात् जब नानाजी देश की राजनीति में अपने शिखर पर थे, उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेकर देश के सामने एक नई मिसाल रखी और युवाओं को आगे आने का आह्वान किया। यहाँ से आरंभ हुआ उनके जीवन का नया और सबसे उल्लेखनीय अध्याय। अपने इस नए अवतार में नानाजी ने देश पर अपनी सबसे ज्यादा छाप छोड़ी—एक स्टेट्समैन, एक आधुनिक ऋषि, राष्ट्रऋषि के रूप में।

 

The Author

Nana Deshmukh

भारत के सार्वजनिक जीवन के तपस्वी कर्मयोगी नानाजी देशमुख राजनीति में रहकर भी जल में कमलपत्रवत् पवित्र रहने वाले एक निष्‍ठावान स्वयंसेवक थे। उनका जीवन समूचे देश की नई पीढ़ी को सतत देशभक्‍त‌ि, समर्पण व सेवा की प्रेरणा देता रहेगा।
उनका जीवन कृतार्थ जीवन था, इसलिए उनके पार्थिव का दृष्‍ट‌ि से ओझल होना मात्र शोक की बात नहीं है, बल्कि हम सभी के लिए स्वयं कृतसंकल्पित होने की बात है। उनके जीवन का अनुकरण अपने जीवन में करना, यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
मोहनराव भागवत
सरसंघचालक, राष्‍ट्रीय स्वयंसेवक संघ

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