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आप कल्पना कीजिए कि यदि पहिए का आविष्कार न हुआ होता तो क्या मानव विकास कर पाता! कंप्यूटर के बिना क्या आज के मानव जीवन की कल्पना की जा सकती है।
अस्तु, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जिस एक विधा ने मानव जीवन को एक नई दिशा और एक नया मार्ग दिखाया है, वह है विज्ञान। चिकित्सा, खगोल विज्ञान, कंप्यूटर, भू-विज्ञान आदि क्षेत्रों में विज्ञान की नई-नई खोजों, आविष्कारों और नवाचार ने पृथ्वी का स्वरूप ही बदल दिया। इन आविष्कारों और खोजों को करनेवाले महान् वैज्ञानिकों ने अप्रतिम योग्यता और प्रतिभा का परिचय देकर गहन अध्ययन, अनुसंधान और शोध करके नाना प्रकार की वस्तुएँ, तकनीक, सूत्र और प्रमेय ईजाद किए, जो कालांतर में मानव सभ्यता के विकास की नींव का पत्थर साबित हुए।
प्रस्तुत पुस्तक में ऐसे ही विश्व विख्यात वैज्ञानिकों के व्यक्तित्व व कृतित्व का संक्षिप्त लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जा रहा है, जिन्होंने इस संसार को नए मापदंड दिए। इसमें उस समय की राजनीतिक परिस्थितियाँ, नई-नई खोजों के लिए उत्सुकता तथा उन वैज्ञानिकों के समक्ष आई कठिनाइयों का दिग्दर्शन है। अत्यंत पठनीय एवं प्रेरक वैज्ञानिक जीवनियों का संकलन।
जन्म : 12 जनवरी, 1960 को इटावा (उ.प्र.) में।
शिक्षा : विकलांग होने के बावजूद हाई स्कूल तथा इंटरमीडिएट की परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कीं। सन् 1983 में रुड़की विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त कर सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) में सहायक अभियंता के रूप में नियुक्त हुए। विभिन्न विभागों में काम करते हुए आजकल मुख्य प्रबंधक के रूप में काम कर रहे हैं।
अब तक कुल 32 पुस्तकें तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 300 लेख प्रकाशित।
पुरस्कार-सम्मान : सन् 1996 में राष्ट्रपति पदक, 2001 में ‘हिंदी अकादमी सम्मान’ तथा योजना आयोग द्वारा ‘कौटिल्य पुरस्कार’। सन् 2003 में अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय द्वारा ‘प्राकृतिक ऊर्जा पुरस्कार’, 2004 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा ‘सृजनात्मक लेखन पुरस्कार’, विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा ‘डॉ. मेघनाद साहा पुरस्कार’ तथा महासागर विकास मंत्रालय द्वारा ‘हिंदी लेखन पुरस्कार’।