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स्वामी विवेकानंदजी ने विश्व धर्म संसद् में अपने उद्बोधन से प्रतिनिधियों सहित सभी श्रोताओं की हृद्तंत्री को ऐसा झनझनाया कि वहाँ 17 दिन की सभा में आयोजकों को उन्हें 5 दिन बोलने का अवसर देना पड़ा।
भारत के उस अंधकारपूर्ण युग में स्वामी विवेकानंदजी ने भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने व सम्मान दिलाने का अत्यंत महत्त्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने इस संपूर्ण भूमंडल में भारत की श्रेष्ठता की पहचान सर्वत्र करा दी। उन्होंने अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंसजी के दिव्य संदेश को विश्व में प्रचारित करने के साथ ही ‘नर सेवा—नारायण सेवा’ का एक अभिनव सूत्र धर्मप्रिय लोगों व संन्यासियों को देकर श्रीरामकृष्ण आश्रम की स्थापना करके उस सूत्र को व्यवहार में लाने का माध्यम प्रस्तुत कर दिया।
स्वामी विवेकानंदजी के जीवन तथा विचारों से संबंधित विपुल साहित्य प्रकाशित हो चुका है, तथापि उनका विस्तृत समस्त विवरण इस छोटी सी पुस्तक के रूप में भारत के समाज-बंधुओं, विशेषकर नवयुवकों एवं विद्यार्थियों के लिए सुलभ कराने का प्रयत्न किया गया है। उनके विचारों को अधिकाधिक उन्हीं के शब्दों में उद्धृत करने का भरसक प्रयास किया गया है, जो उनकी उपलब्ध जीवनियों, पुस्तकालयों, पत्रिकाओं एवं विद्वानों के उद्धरणों से प्रयत्नपूर्वक ढूँढ़कर निकाले गए हैं।
विश्व के जनमानस को उद्वेलित करनेवाले तथा दरिद्र नारायण की सेवा का मार्ग प्रशस्त करनेवाले स्वामी विवेकानंद की प्रेरणादायी जीवनी।
जन्म : 21 जुलाई,1931
शिक्षा : एम.ए., एम.एड.।
अध्यक्ष, बी.एड. विभाग, पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर। शिक्षा निदेशक, (मानद), चित्रकूट ग्रामोद्य विश्वविद्यालय, चित्रकूट।
संस्थापक : प्रधानाचार्य, श्री मुनि हिंदू इंटर कॉलेज, कानपुर; उपाध्यक्ष, सरस्वती शिशु मंदिर, जौनपुर; गिरिवासी वनवासी सेवा प्रकल्प, सोनभद्र; वनवासी कल्याण केंद्र, घोरावल, सोनभद्र; विवेक शिशु मंदिर, घोरावल; माँ गायत्री विद्या मंदिर, भरहरी, सोनभद्र; चंद्रशेखर आजाद वनवासी छात्रावास, मीरजापुर; मार्गदर्शक, महर्षि वाल्मीकि सेवा संस्थान, नौगढ़, चंदौली; श्री पंचदेव मंदिर, नौगढ़।
प्रकाशन : ‘हमारे महान् वननायक भाग-1, 2, 3’, ‘अ.भा. वनवासी कल्याण आश्रम की विकास यात्रा’, ‘स्वामी विवेकानंद एवं रामकृष्ण आश्रम’, ‘हिंदू राष्ट्र का सजग प्रहरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’। इसके अलावा ‘वनवासी’, ‘वनांजलि’, ‘स्वर्णांजलि’ जैसी कई स्मारिकाएँ संपादित। अनेक सम्मेलनों व अभियानों का संयोजन-संचालन। छोटे-बडे़ अनेक सामाजिक दायित्वों का निर्वहण।
विदेश-यात्रा : अमेरिका, कनाडा, हॉलैंड।