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Vrat-Upvas Ke Dharmik Aur Vaigyanik Adhar   

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Author Shashikant ‘Sadaiv’
Features
  • ISBN : 9789387980556
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Shashikant ‘Sadaiv’
  • 9789387980556
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 216
  • Hard Cover

Description

भले ही व्रत-उपवास का वास्तविक अर्थ कुछ भी हो, लेकिन ये जनमानस में धर्म, आस्था एवं श्रद्धा का प्रतीक हैं। कुछ लोग इसे धर्म के साथ जोड़कर देखते हैं तो कुछ ज्योतिषीय उपायों की तरह लेते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से इनके अलग लाभ हैं तो मनोविज्ञान की दृष्टि से इनका अपना महत्त्व है। शायद यही कारण है कि व्रत-उपवास का चलन सदियों नहीं, युगों पुराना है। एक तरफ हिंदू शास्त्र व्रत-उपवास जैसे धार्मिक कर्मकांडों की पैरवी करते नजर आते हैं तो दूसरी ओर खुद ही इसी बात पर जोर देते हैं कि भूखे भजन न होय गोपाला, अर्थात् भूखे पेट तो भगवान् का भजन भी नहीं हो पाता।
व्रत-उपवास हमारे आत्मिक बल और स्व-नियंत्रण को बढ़ाते हैं; इंद्रियों को वश में रखने की शक्ति देते हैं।
कुछ लोग व्रत-उपवास श्रद्धा से रखते हैं तो कुछ लोग भय से, कुछ लोग शारीरिक स्वास्थ्य के लिए रखते हैं तो कुछ लोग मानसिक शांति के लिए। कारण भले ही कोई हो, लेकिन लोगों के जीवन में व्रत-उपवास का विशेष स्थान है। यह पुस्तक व्रत-उपवासों की महत्ता और उनकी वैज्ञानिकता प्रस्तुत करती है।

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अनुक्रम

यह पुस्तक क्यों? —Pgs. 7

क्यों चला व्रतों का चलन? —Pgs. 13

क्या है व्रत, क्या है उपवास, कितने भिन्न, कितने समान? —Pgs. 18

व्रतों से जुड़े लाभ, दान, मंत्र और सावधानियाँ —Pgs. 22

व्रत रखने से पहले जरा सोचें —Pgs. 30

तन का नहीं, मन का होता है व्रत —Pgs. 33

व्रत-उपवास का बिगड़ता स्वरूप —Pgs. 35

भारतीय संस्कृति में व्रती जीवन —Pgs. 40

व्रतों के भेद —Pgs. 46

माह एवं ऋतु अनुसार व्रत-उपवास —Pgs. 50

कामनाओं से संबंधित व्रत —Pgs. 53

उपवास के समान कोई तप नहीं —Pgs. 58

उपवास करें, स्वस्थ रहें —Pgs. 61

कैसे और क्यों रखें ‘उपवास’? —Pgs. 64

व्रत और डॉक्टरी हिदायत —Pgs. 68

आखिर निष्फल क्यों हो जाते हैं व्रत और उपवास? —Pgs. 70

व्रत भी हो सकते हैं दुःखदायी —Pgs. 73

कुंडली के अनुसार कौन सा व्रत करें? —Pgs. 77

किस देवता के व्रत से क्या लाभ है? —Pgs. 81

क्या हैं नवरात्र? —Pgs. 84

जानें नवरात्र व्रत की पूजन विधि —Pgs. 90

क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि? —Pgs. 96

कैसे करें भगवान् गणेशजी को प्रसन्न? —Pgs. 109

जन्माष्टमी मनाने के परंपरागत रूप —Pgs. 117

हनुमान जयंती और पूजन —Pgs. 124

कैसे करें रामनवमी का व्रत —Pgs. 136

श्री सत्यनारायण व्रत का रहस्य —Pgs. 140

साईं बाबा व्रत पूजा —Pgs. 148

साधना का पर्व : निर्जला एकादशी —Pgs. 153

लंबे सुहाग की कामना का पर्व —Pgs. 159

पुत्रों पर कृपा करती हैं—अहोई माता —Pgs. 164

सूर्योपासना का लोकपर्व छठ —Pgs. 167

कामनाओं को पूरा करें महालक्ष्मी व्रत से —Pgs. 175

संतोषी माता व्रत की विधि —Pgs. 179

ईसाई धर्म और व्रत —Pgs. 182

जैन धर्म और व्रत —Pgs. 186

रोजे और रमजान : इनसानियत के पैगाम —Pgs. 190

वार अनुसार व्रतों को रखने की विधि —Pgs. 196

प्रदोष व्रत —Pgs. 215

The Author

Shashikant ‘Sadaiv’

"शशिकांत ‘सदैव’
विलक्षण एवं विभिन्न प्रतिभाओं के धनी शशिकांत ‘सदैव’ अपने व्यक्तित्व एवं बहुविधि कार्यों के लिए पहचाने जाते हैं। किसी के लिए वे एक आध्यात्मिक, संपादक-पत्रकार हैं तो किसी के लिए लेखक, कवि-शायर। कोई उनकोे उनकी प्रकाशित दो दर्जन पुस्तकों के माध्यम से जानता है तो कोई एफ.एम.-टी.वी. पर मेहमान, विशेषज्ञ के रूप में पहचानता है। वे न केवल कुशल वक्ता हैं, बल्कि एक अच्छे आध्यात्मिक एवं मनोवैज्ञानिक सलाहकार भी हैं। वे पिछले 10 वर्षों से विभिन्न सरकारी-गैर सरकारी संस्थाओं, आश्रमों, स्कूल-कॉलेजों एवं मल्टी नेशनल कंपनियों में लोगों को ध्यान एवं व्यक्तित्व-विकास का प्रशिक्षण दे रहे हैं। पिछले 16 वर्षों से आध्यात्मिक पत्रिका ‘साधना पथ’ में संपादक के रूप में कार्यरत हैं।
विस्तृत परिचय के लिए लॉग इन करें—
http://shashikantsadaiv.blogspot.com
इ-मेल : shashikantsadaiv@gmail.com"

 

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