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‘वक्त के उजाले में’ संग्रह की सभी कविताएँ आज के समाज तथा समय के सभी अंतर्विरोधों तथा विसंगतियों पर रोशनी डालती हैं। इन कविताओं में आम आदमी की मुश्किलों, उसकी उम्मीदों तथा आकांक्षाओं के साथ उसकी जिंदगी के जद्दोेजेहद को भी आवाज प्रदान की गई है। इन कविताओं की पृष्ठभूमि में वैश्विक चिंतन के साथ समाज में नैतिक मूल्यों के पतन पर भी रचनाकार ने सार्थक टिप्पणी दर्ज की है।
संक्षेप में, सहज, सरल, सुबोध काव्य भाषा में रचित ये कविताएँ मानवीय अनुभूति की सूक्ष्म तथा आत्मीय अभिव्यक्ति हैं तथा जीवन के तपते रेगिस्तान में शीतल मरूद्यान सी प्रतीत होती हैं।
डॉ. सुमिता मिश्रा का जन्म लखनऊ में हुआ। उनके माता-पिता डॉ. एन.सी. मिश्रा एवं डॉ. श्रीमती पी.के. मिश्रा विख्यात डॉक्टर हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से बी.ए. और एम.ए. (अर्थशास्त्र) उत्तीर्ण कर विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया। सन् 1990 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (ढ्ढ्नस्) में उनका चयन हुआ। पिछले 26 वर्षों से वे हरियाणा सरकार के कई महत्त्वपूर्ण पद और जिम्मेदारियाँ सँभाल रही हैं।
अंग्रेजी और हिंदी, दोनों भाषाओं में इनकी कविताएँ कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी अंग्रेजी कविताओं का संकलन ‘A Life of Light’ वर्ष 2011 में प्रकाशित हुआ और खूब सराहा गया। तत्पश्चात् कविता-संग्रह ‘जरा सी धूप’ का प्रकाशन वर्ष 2013 में हुआ तथा साहित्य-जगत् में यह संग्रह अत्यंत चर्चित रहा। लेखन के अलावा साहित्य के प्रसार-प्रचार में भी उनकी गहन रुचि है। वे Chandigarh Literary Society (CLS) की संस्थापक अध्यक्ष हैं, जिसके तत्त्वावधान में अनेक सफल और लोकप्रिय साहित्यिक कार्यक्रम चंडीगढ़ में आयोजित हुए हैं। यह संस्था ‘Literati-Chandigarh Litfest’ का भी पिछले चार वर्षों से सफलतापूर्वक आयोजन कर रही है। वे चंडीगढ़ में अपने पति श्री परमजीत सिंह और दो बेटियों अरुशि व गुरमेहर के साथ रहती हैं।
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