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रिश्ते फूलों की तरह खिलते हैं और महकते हैं; रिश्ते बादलों की तरह झूमते हैं और स्नेहसिक्त हो बरसते भी हैं। कभी-कभी यही रिश्ते हमारी जिंदगी में इंद्रधनुष के सातों रंगों की छटा बिखेर देते हैं तो अकसर यही हमारे इर्द-गिर्द भँवरे की गुंजन की तरह गुनगुनाते रहते हैं।
मित्रो! रिश्ते अनमोल होते हैं। कुछ रिश्ते हमें स्वतः ही प्राप्त होते हैं जबकि कुछ हम खुद अपनी रुचि और आदतों से मेल खाते लोगों के साथ बनाते हैं। रिश्ते प्रेम का पर्याय है और प्रेम उम्र, जाति, धर्म या किसी और तरह का बंधन नहीं मानता। ऐसा ही एक रिश्ता हमारा मोबाइल के साथ भी बन गया है। आज संचार क्रांति के साथ-साथ मोबाइल हम सभी के जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। हम सभी मोबाइल का प्रयोग करते हैं। तकनीक के क्षेत्र में हम नित नई ऊँचाइयाँ छू रहे हैं। आज प्रायः सभी व्हाट्सएप से परिचित हैं और अमूमन हम सभी इस एप का प्रयोग भी करते हैं। मित्रो! व्हाट्सएप पर की गई चैटिंग अकसर एक कहानी या संदेश छोड़ जाती है, यदि हम उसे पहचानने की कोशिश करें तो!
इस पुस्तक में व्हाट्सएप की उन्हीं चैटिंगों में से उभरती कहानी को आप सभी के सम्मुख लाने का प्रयास किया गया है। ये छोटी-छोटी कहानियाँ आपकी अपनी कहानियाँ हैं; आपके अपने रिश्तों की कहानियाँ हैं। इन कहानियों को पढ़ते हुए आप खुद को अपनों के करीब महसूस करेंगे।
हमें विश्वास है कि आप इन कहानियों की मिठास में डूब जाएँगे और उस मिठास को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ भी साझा करेंगे।
जन्म :18 जनवरी, 1974 कानपुर (उत्तर प्रदेश)।
शिक्षा :पी-एच.डी. (कबीर काव्य का भाषा शास्त्रीय अध्ययन)।
कृतित्व :लेखन व अध्यापन। दो अन्य पुस्तकें प्रकाशनाधीन। विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं में लेख, कविताएँ, कहानियाँ प्रकाशित। ‘नवभारत टाइम्स’ और ‘आज समाज’ में नियमित कॉलम, ‘दैनिक ट्रिब्यून’ के लिए पुस्तक समीक्षाएँ-लेखन। दूरदर्शन, अन्य चैनलों एवं आकाशवाणी पर प्रस्तुति। दिल्ली एवं देश के अन्य शहरों में मंच पर काव्य-प्रस्तुति।
संपर्क :9971711337, rashmi.kalamkaar@gmail.com