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Ya Devi Sarvabhuteshu    

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Author Gurudev Nandkishore Shrimali
Features
  • ISBN : 9788196094683
  • Language : Hindi
  • ...more

More Information

  • Gurudev Nandkishore Shrimali
  • 9788196094683
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2023
  • 152
  • Soft Cover
  • 180 Grams

Description

दुर्गा सप्तशती तंत्र का मेरुदंड है। इस पुस्तक के सभी मंत्र अमोघ हैं। सुरथ एवं समाधि की कहानी से शुरू हो रही सप्तशती वस्तुतः तेरहवें अध्याय के अंतमें यह बताती है कि दुर्गा का पूजन, उनके माहात्म्य का जप पुण्यदायी है-इहलोक, परलोक सुधारने वाला है। दुर्गा के माहात्म्य को श्रद्धापूर्वक सुनने का परिणाम था कि राजा सुरथ सूर्य के अंश से सावर्णि नामक मनु के रूप में उत्पन्न हुए।

तेरह अध्यायों में शक्ति के भिन्न- भिन्न स्वरूपों का ध्यान किया गया है। ऋग्वेद में अपना परिचय देते हुए शक्ति कहती हैं- अहम् ब्रह्म स्वरूपिणी । शक्ति ब्रह्म से भिन्न नहीं हैं, और उनको समझना उतना ही दुष्कर हैं, जितना ब्रह्म को, पर दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। निःसंदेह शक्ति ही स्वयं में संतुष्ट और कामनाओं से परे ब्रह्म को क्रियाशील करती हैं, अन्यथा शिव निश्चल रहते हैं-

जहाँ भी रचना हो रही है. या विलय हो रहा है, वहाँ शक्ति अवश्य क्रियारत है। निखिल मंत्र विज्ञान में शक्ति के दिग्दर्शन की ओर प्रत्येक साधक को ले जाना हमारा ध्येय है और पुनीत कर्तव्य भी। दुर्गा सप्तशती में निहित आध्यात्मिक रहस्य को यह पुस्तक पाठकों के सम्मुख 'या देवी सर्वभूतेषु' के माध्यम से प्रस्तुत करने का विनीत प्रयास है, इस आशा के साथ कि इसे पढ़ने के बाद आप सभी साधकों और पाठकों के मन में शक्ति से संबंधित छाया भ्रमजाल छिन्न-भिन्न हो जाएगा।

The Author

Gurudev Nandkishore Shrimali

गुरुदेव नंदकिशोर श्रीमाली निखिल मंत्र विज्ञान के संस्थापक हैं। जोधपुर (राजस्थान) इनकी कर्मभूमि है। उन्होंने चार दशक पूर्व अपने परमपूज्य पिता सद्गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहरों को साहित्य और सम्मेलनों के माध्यम से जनमानस तक पहुँचाने का कार्य आरंभ किया था।
सद्गुरुदेव शक्तिपात, दीक्षा-संस्कार और साधना प्रवचनों द्वारा शिष्यों में तपोबल की ऊर्जा प्रदान करते हैं। शक्तिपात साधक के अंदर एक क्रांति का सूत्रपात है और इस मानस क्रांति से साधक कर्म संन्यास के माध्यम से अपने भौतिक जीवन के सभी आयामों को प्राप्त करता है।
सद्गुरुदेव नंदकिशोर श्रीमाली के जीवन का लक्ष्य वैदिक ज्ञान को उसके गरिमामय आसन पर सकल भारतवर्ष में पुनर्स्थापित करना है, जिससे मनुष्य मात्र अपने जीवन में शिवत्व को अनुभव कर सके एवं उसका जीवन संताप मुक्त हो सके।
यह कार्य सद्गुरुदेव अपने विचारों को मासिक पत्रिका ‘निखिल मंत्र विज्ञान’ के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाकर संपादित कर रहे हैं।

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