₹300
याद आते हैं वे कुम्हार, जिन्होंने इस मिट्टी के घड़े को आकार दिया।
याद आते हैं, हिंदी के सबसे पुरानी विधा संस्मरण-साहित्य को नई ताजगी से भरनेवाले सच्चे संस्मरणों के 'मोती’ । आज जब संस्मरणों के नाम पर जिंदा-मृतक लोगों के 'पोस्टमार्टम’ की होड़ लगी है, जिन पर संस्मरण लिख रहे, उनके अवगुण को गुणा जा रहा है। संस्मरण-साहित्य का काम है समाज को सच्चे उजले स्वस्थ सकारात्मक प्रेरणा-पुंज मिलें। सच लिखें तो जिंदा लोगों के सम्मुख लिखें। राजशेखर व्यास जन्मना यायावर, सुमन, बच्चन, महादेवी वर्मा, राजेंद्र माथुर, प्रभाष जोशी, शंकर दयाल शर्मा से लेकर कमलेश्वर, कलाम तक से उनकी वय में कम ही लोगों का सहज स्नेह संपर्क होता है। जो देखा, जैसा देखा, वैसा लिखा। राजशेखर व्यास की यह सहज शैली ही उन्हें संस्मरण लेखक पद्मसिंह शर्मा 'कमलेश’ , बनारसी दास चतुर्वेदी, पं. सूर्यनारायण व्यास, शिव वर्मा, यशपाल से लेकर रवींद्र कालिया के साथ खड़ा कर देती है। राजेंद्र यादव, कांती कुमार जैन से साफ, सच्चे किस्सागो। राजशेखर भारतीय ज्ञानपीठ से अपने पिता की 'यादें’ ला चुके हैं; 'टूट रहा अमेरिका’ के यात्रा संस्मरण भी खूब लोकप्रिय हुए हैं। उग्र हृदय, व्यास, सुभाष, विक्रम, भगत सिंह, कालिदास, भगवतशरण उपाध्याय से लेकर प्रभाष जोशी तक पर अपने विलक्षण कार्यों के लिए मशहूर राजशेखर व्यास के ये रोचक किस्से 'याद आते हैं’ भी सदैव याद रहेंगे!
________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रमणिका
1. अजातशत्रु (गुलिया दाई के मुहल्ले से राष्ट्रपति भवन के गलियारे तक) —Pgs. 9
2. अलविदा कॉमरेड कमलेश्वर —Pgs. 16
3. ऐसे मत जाओ गंगा बाबू —Pgs. 22
4. खो गया है भीमबेटका का खोजी —Pgs. 26
5. अजब-गजब थे अपने रामा दादा —Pgs. 30
6. वे तांत्रिक तो थे मगर यांत्रिक नहीं —Pgs. 33
7. ऊर्जा : जो अव्यत रह गई —Pgs. 37
8. और इस ‘सुमन’ की सुध कौन लेगा? —Pgs. 41
9. जीवन ही गद्य-काव्य रहा —Pgs. 44
10. हृदय की बात —Pgs. 52
11. मालवा का विस्मृत महाकवि ‘हृदय’ —Pgs. 63
12. उग्र : एक इंद्रधनुषी व्यतित्व —Pgs. 70
13. निराला ने न दहेज लिया, न दिया —Pgs. 84
14. एकपत्र जिसने शहर बनाया —Pgs. 85
15. वह अनोखा अभिनंदन ग्रंथ —Pgs. 89
16. ऐसे थे महादेवीजी के भैया निरालाजी —Pgs. 97
17. इंदिरा प्रियदर्शनी —Pgs. 99
18. उनकी सत्यनिष्ठा अनुकरणीय —Pgs. 101
19. यह संस्मरण नहीं मरण है! —Pgs. 105
20. महादेवी महान् देवी —Pgs. 109
21. पत्रों के झरोखे से बच्चन —Pgs. 115
22. महानायक : दोहरा चरित्र —Pgs. 121
23. व्यायाता : कवि —Pgs. 127
24. सत्यं शिवं सुंदरम् के संपूर्ण व्यास : श्यामसुंदर व्यास —Pgs. 131
25. सिनेमा संसार और व्यास —Pgs. 134
26. पत्रकार व्यासजी —Pgs. 144
27. मेरी दृष्टि में मेरे पिताजी —Pgs. 152
28. विजय मिली मगर विजय चले गए —Pgs. 159
29. ओशो मरता नहीं, ओशो मरते नहीं! —Pgs. 162
30. गांधी योर फादर —Pgs. 167
31. लता पुरस्कार —Pgs. सुलगते सवाल —Pgs. 174
32. आत्महत्या के लिए भी आत्मा चाहिए, जनाब! —Pgs. 177
33. प्रभाष जोशी : एक बहाव बगैर पड़ाव —Pgs. 180
34. ज्योतिष जगत् के सूर्य —Pgs. 193
35. व्यासजी और व्यंग्य —Pgs. 203
36. पत्रकारिता के प्रतीक पुरुष —Pgs. 214
37. हम बी.बी.सी. से बोल रहे हैं! —Pgs. 217
38. कलाम का भविष्य, भविष्य के कलाम —Pgs. 223
39. या चीन भारत का दोस्त है? —Pgs. 229
40. पत्रों में झाँकते सुमन —Pgs. 236
41. बापू का दाँत —Pgs. 240
चर्चित लेखक, संपादक, विख्यात निर्माता-निदेशक, केवल 12 वर्ष की वय में पितृविहीन हो चले ‘यायावर’। 59 से अधिक क्रांतिकारी ग्रंथ, 4000 से ज्यादा लेख देश-विदेश के सभी अखबारों में प्रकाशित, 200 से ज्यादा वृत्तचित्र, कार्यक्रम, रूपक, फीचर, रिपोर्ताज टी.वी. पर प्रसारित। भारतीय दूरदर्शन में सबसे अल्पायु के आई.बी.एस. अधिकारी ‘उप-महानिदेशक’।
फ्रांस, यूरोप, मलेशिया, सिंगापुर, अमेरिका की यात्रा। फ्रांस सरकार, संस्कृति मंत्रालय एवं विदेश मंत्रालय भारत से सम्मान, फेलोशिप, ए.बी.यू./ए.आइ.बी.डी. सिंगापुर एवं मलेशिया से ‘मेन ऑफ द ईयर’ सम्मान, कैंब्रिज में उप-महानिदेशक, ‘विश्व हिंदी सम्मेलन’, न्यूयॉर्क में सम्मान, हिंदी अकादमी, दिल्ली का ‘पत्रकारिता सम्मान’, कालचक्र के आरंभिक सहयोगी, विलक्षण वक्ता, कवि-समीक्षक, आलोचक। चर्चित पुस्तकें—‘मैं भगत सिंह बोल रहा हूँ’ (3 खंड), ‘मृत्युंजय भगतसिंह’, ‘इनकलाब’, ‘सुभाष कुछ अधखुले पन्ने’, ‘सरहद पार सुभाष’, ‘यादें’, ‘स्वाभिमान के सूर्य’, ‘विक्रमादित्य’, ‘विश्वकवि कालिदास’, ‘माँ, स्वर्णिमभारत’, ‘उग्र के सात रंग’, ‘क्रांतिकारी कहानियाँ’, ‘आँखों देखा अमेरिका’, ‘शोकगीत’, ‘एक जगह उग्र’, ‘अतुल्य भारत’।