जंगल में बहती हुई नदी की तरह है रेणु की कविता-यात्रा। जिस तरह जंगल में बहती नदी अवरोधों-विरोधों की परवाह किए बिना अपना मार्ग स्वयं बना इठलाती रहती है, इसी तरह इस संकलन की रचनाएँ भी कवयित्री के स्वाभाविक और अनुभूतिजन्य उद्गार हैं।
—रजनीश त्रिवेदी ‘आलोक’
देहरादून
शिक्षा : एम.ए. (इतिहास), बी.एड., एम.फिल., पी-एच.डी. (एम.फिल. में मेरठ विश्वविद्यालय में सर्वोच्च स्थान व स्वर्ण-पदक), शिक्षा देहरादून व मेरठ विश्वविद्यालय से। अत्यंत मेधावी व कई स्कॉलरशिप प्राप्त।
अभिरुचि : कविता व कहानी लेखन, संगीत, फैशन डिजाइनिंग, पेंटिंग, पर्वतारोहण।
प्रकाशन : पहला काव्य संग्रह ‘फिर पंख लगे पहाड़ को’ अक्तूबर 2011 में प्रकाशित, देश-विदेश की विभिन्न पत्रिकाओं, अखबारों में रचनाओं का प्रकाशन। इतिहास विषय से संबंधित लेख समय-समय पर प्रकाशित।
साहित्यिक गतिविधियाँ : दिल्ली, देहरादून व अन्य स्थानों पर कवि गोष्ठियों व साहित्यिक आयोजनों में सहभागिता। फरवरी 2013 में दुबई में अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में रचना पाठ।
संप्रति : प्रथम श्रेणी अधिकारी (मानव संसाधन विकास मंत्रालय, शिक्षा विभाग, भारत सरकार)।
इ-मेल :
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ब्लॉग :
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