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शोहरत की चकाचौंध से परे, हिंदी फिल्मों के लोकप्रिय सितारे कैसे हँसते और सिसकते हैं, ऐसे सर्वथा अनछुए-अनजाने प्रसंगों के सफर का नाम है ‘यादों का कारवाँ’। सच्ची मगर अनूठी घटनाओं से प्रेरित यह पुस्तक पंद्रह तिलस्मी सितारों के अनमोल जीवन-दर्शन के साथ यह भी दरशाती है कि वे भी कैसे राग-द्वेष के शिकार होते हैं। सरल और सरस भाषा में यह पुस्तक सिनेमा-जगत् के उन पहलुओं से अवगत कराती है, जो आमतौर पर जनता के सामने उजागर नहीं होते। व्यक्तिगत प्रसंगों द्वारा सितारों के बाहरी आवरण के पीछे छिपे सार्थक व्यक्तित्व से मुलाकात के अलावा पुस्तक सत्यापित करती है कि संतों की सूक्ति ‘यश-अपयश विधि हाथ’ कितनी सटीक है, क्योंकि काल के मोहरे होते हुए भी ये कलाकार अगर प्रसिद्धि और धन-दौलत के शिखर फतह करते हैं तो सिर्फ इसलिए कि प्रभु की इन पर विशेष कृपा होती है। संवेदनशील कथाओं के इस संकलन में प्रेरणा के अनेक ऐसे पुष्प गुँथे हैं, जिनसे हर पाठक अपनी जीवन-यात्रा को और अधिक सुरभित सुगंध से निखार सकता है।
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अनुक्रम
भूमिका —Pgs. 5
मेरे दिल की क़लम से... —Pgs. 7
1.कर्मयोगी देव : देव आनंद —Pgs. 13
2.उत्कृष्टता और साहस का संगम : आशा भोसले—Pgs. 22
3.मनोज कुमार : सफलता अपने दम पर—Pgs. 32
4.प्यारेलाल : धड़कनों के जादूगर—Pgs. 41
5. कुंदन शाह : डर का ग़ुलाम—Pgs. 50
6.अद्वितीय अभिनेता, अद्भुत इन्सान : दिलीप कुमार—Pgs. 64
7.ख़य्याम : रेशमी धुनों के बुनकर—Pgs. 76
8. नक़्श लायलपुरी : शालीन शायरी के शालीन शायर —Pgs. 87
9. महेश भट्ट : जज़्बाती मगर मज़बूत इन्सान —Pgs.97
10.अमिताभ बच्चन : ईश्वरीय वरदान से सराबोर शख़्सियत—Pgs. 106
11.सागर सरहदी : बाज़ार से लड़ता सिपाही—Pgs. 118
12. सुनील दत्त : एक निष्कलंक, ईमानदार इन्सान—Pgs. 129
13.शाहरुख़ ख़ान : तक़दीर का बादशाह—Pgs.138
14.पद्मिनी कोल्हापुरे : सादगी पसंद घरेलू हीरोइन —Pgs.149
15.सलमान ख़ान : नेक संवेदनशील इन्सान—Pgs. 158
दीपक महान
खुशियाँ बाँटने को जीवन का परम ध्येय माननेवाले दीपक महान वृत्तचित्र निर्देशक व खेल उद्घोषक होने के साथ-साथ एक निर्भीक विचारक भी हैं, जिन्हें अपने उसूलों और बेबाकी के कारण कई कठिनाइयाँ झेलनी पड़ीं। लेकिन सत्य, अहिंसा और इनसानियत के उपासक होने के नाते वे सामाजिक कुरीतियों और ताकतों के खिलाफ कभी झुके नहीं।
प्रतिष्ठित समाचार-पत्र ‘द हिंदू’ में लंबे समय से फिल्म-लेखन के अलावा दीपक महान के विभिन्न सामाजिक विषयों पर हिंदी-अंग्रेजी के लगभग 1800 लेख देश-विदेश के सम्मानीय समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं एवं वेबसाइटों पर प्रकाशित हैं। लगभग 70 वृत्तचित्र एवं लघु फिल्मों की पटकथाओं का लेखन तथा 25 का सृजन, जिनमें से कई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत। काव्य-संग्रह ‘मुकद्दस गुनाह’ शीघ्र प्रकाश्य। ‘कभी-कभी’, ‘चाँदनी’, ‘बाजार’, ‘सिलसिला’ और ‘कहो न प्यार है’ जैसी प्रसिद्ध हिंदी फिल्मों के लेखक सागर सरहदी का कहना है कि ‘हर कोई जो इस किताब को पढ़ेगा, वह बेहद खुशनसीब होगा, क्योंकि उस शख्स की फिल्मी दुनिया की बहुत सी मशहूर हस्तियों के साथ एक नई पहचान बनेगी।’
इ-मेल : mahaandeepak@gmail.com