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Yadon Ki Kandeel   

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Author Urvashi Agrawal ‘Urvi’
Features
  • ISBN : 9789392013850
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Urvashi Agrawal ‘Urvi’
  • 9789392013850
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2024
  • 144
  • Soft Cover
  • 150 Grams

Description

"यादों की कंदील' पर काम करते हुए मैंने उर्वशी को एक लगनशील और जुझारू कवयित्री तथा दृढ़ व्यक्तित्व के रूप में सदा पाया है। उर्वशी का अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित और सचेत रहना उनकी कर्तव्यनिष्ठा तथा दृढ़ व्यक्तित्व को रेखांकित करता है। घर की सारी ज़िम्मेदारियों के निर्वहन के साथ- साथ बच्चों के स्तरीय लालन-पालन करने में एक कुशल गृहणी की भूमिका को कौशल के साथ निभाना कोई इस कवयित्री से सीखे !

इन सारी व्यस्तताओं के चलते अपने लेखन के प्रति सचेत और समर्पित रहना उनकी कर्तव्यनिष्ठा तथा कविकर्म के प्रति समर्पण का द्योतक है। अपने परिवार के व्यक्तियों का हर प्रकार से ध्यान रखते हुए तथा अपने मित्रों के साथ संबंधों को निभाते हुए एक रचनाशील व्यक्ति के रूप में लेखकीय समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करना उर्वशी के रचनाशील व्यक्तित्व का वैशिष्ट्य है।

मेरा विचार है कि प्रस्तुत काव्य- संग्रह 'यादों की कंदील' के दोहे प्रबुद्ध पाठकों को न केवल अच्छे लगेंगे अपितु उनके मन पर उर्वशी के कृतित्व की जो छाप अंकित होगी, वह उन्हें एक श्रेष्ठ कवयित्री के रूप में प्रतिष्ठित भी करेगी। मेरी शुभकानाएँ तो उर्वशी 'उर्वी' के साथ है ही शुभास्ते सन्तु पंथान।"

The Author

Urvashi Agrawal ‘Urvi’

उर्वशी अग्रवाल 'उर्वी'
बाल्यकाल से ही कविताएँ लिखने में विशेष रुचि। समय के साथ-साथ ग़ज़लें लिखने का भी अनुभव। महिला विषयों, विशेषकर उनकी विभिन्न भावनाओं को कविताओं, ग़ज़लों, दोहों और चौपाइयों के माध्यम से प्रस्तुत करती हैं। हिंदी के अतिरिक्त सरैकी भाषा में भी काव्य सृजन। आकाशवाणी द्वारा आयोजित हिंदी व सरैकी के कई काव्य प्रसारणों व कविता पाठ में सम्मलित हुई हैं। अनेक टी.वी. चैनलों के कार्यक्रमों में कविताएँ व ग़ज़लें प्रस्तुत की हैं। अब तक लगभग एक हज़ार हिंदी कविताओं व पाँच सौ ग़ज़लों का सृजन। पाँच कविता व ग़ज़ल-संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होने वाले हैं, जिनमें प्रमुख हैं खण्डकाव्य ‘व्यथा कहे पंचाली’ व दोहा संग्रह ‘मैं शबरी हूँ राम की’। दिल्ली व उसके आप-पास होने वाले कवि सम्मेलनों एवं मुशायरों में सक्रिय भागीदारी।

काव्य मंच संचालन में सिद्धहस्त एवं कई सफल कवि सम्मेलनों, काव्य गोष्ठियों का संचालन कर चुकी हैं।

संप्रति: 
वर्तमान में सुविख्यात हिंदी साहित्यिक पत्रिका ‘साहित्य अमृत’ की उप-संपादिका हैं।

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