₹300
"यशोथरा जीत गई में राघव ने महिला सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता और उनके संघर्ष को बड़े प्रभावशाली तरीके से पेश किया है। यशोथरा की कड़ी मेहनत, साहस और अपने सिद्धांतों के प्रति अडिगता यह दर्शाती है कि किसी भी समाज में बदलाव लाने के लिए एक व्यक्ति की हिम्मत और इच्छा शक्ति कितनी महत्वपूर्ण होती है।
इस उपन्यास के माध्यम से लेखक ने न केवल महिलाओं के अधिकारों की ओर ध्यान आकर्षित किया है, बल्कि यह भी बताया है कि समाज में बदलाव लाने के लिए महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। उपन्यास में मानवीय संवेदनाएँ, सामाजिक मुद्दे और महिलाओं के प्रति एक नई सोच को प्रमुखता से उठाया गया है।"