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आजादी से पहले और आजादी के बाद के कालखंड में देश के सभी साहित्यकार समाज-निर्माण में लगे थे। पं. बनारसीदास चतुर्वेदी भी उनमें से एक थे। उन्होंने अपनी एक अलग राह चुनी—साहित्य, पत्रकारिता और पत्र लेखन। उन्होंने अनेक आंदोलन चलाए। ‘विशाल भारत’ और ‘मधुकर’ नामक पत्रों का संपादन किया। उन्होंने कभी घासलेटी साहित्य के खिलाफ मुहिम छेड़ी, कभी कस्मै देवाय आंदोलन चलाया, तो कभी जनपदीय आंदोलन छेड़ा तो कभी आजादी के बाद शहीदों के साहित्यिक श्राद्ध में जुट गए। गांधीजी के कहने पर प्रवासी भारतीयों की समस्याओं को उजागर किया और फिजी में गिरमिटिया मजदूरों की स्थिति पर तोताराम सनाढ्य के साथ पुस्तक लिखी। गांधीजी के कहने पर प्रवासी भारतीयों की स्थिति की जानकारी लेने के लिए उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा भी की। वह गांधीजी के अनन्य भक्त थे, लेकिन गुरुवर रवींद्रनाथ टैगोर से लेकर ऐसा कोई समकालीन व्यक्ति नहीं था, जिससे उनका सीधा संपर्क न रहा हो। बनारसीदास चतुर्वेदी ने पत्रों के माध्यम से समाज को जोड़ने और उनकी कुरीतियों को तोड़ने का काम भी किया। उन्होंने अपने जीवनकाल में हजारों लोगों को एक लाख से अधिक पत्र लिखे।
नई पीढ़ी पं. बनारसीदास चतुर्वेदी के योगदान से अपरिचित है। मौजूदा पुस्तक दादाजी के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते लेखों का संकलन है। बनारसीदास चतुर्वेदी एक सामान्य साहित्यकार-पत्रकार नहीं थे। इस पुस्तक के माध्यम से उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं को सामने लाने का प्रयास किया गया है।
आशुतोष चतुर्वेदी
वरिष्ठ पत्रकार और प्रभात खबर के प्रधान संपादक; मीडिया जगत् में 35 वर्षों की विशेषज्ञता। हिंदी पत्रकारिता में अनुभवी और विशेषज्ञ पत्रकारों में गिनती। भारत ही नहीं विदेशों में भी काम करने का गहन अनुभव हासिल। मीडिया जगत् के बड़े घरानों में प्रिंट के साथ इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता का अनुभव; मीडिया इंडस्ट्री की अच्छी समझ। पत्रकार शिरोमणि पं. बनारसीदास चतुर्वेदी के परिवार से संबंधित; उन्हें अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं। उन्हीं के आशीर्वाद से पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश। कॅरियर की शुरुआत इलाहाबाद से प्रकाशित होनेवाली प्रसिद्ध समाचार पत्रिका माया के साथ प्रशिक्षु पत्रकार के रूप में की। उसके बाद इंडिया टुडे, संडे ऑब्जर्वर, जागरण, बीबीसी लंदन व दिल्ली होते हुए अमर उजाला के कार्यकारी संपादक और प्रभात खबर के प्रधान संपादक तक की पत्रकारिता की उतार-चढ़ाव भरी यात्रा ने पूरी की। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ एक दर्जन देशों की विदेश यात्राएँ भी की हैं। आगरा विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री हासिल की। ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म का प्रशिक्षण लिया। संप्रति एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्य हैं।