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एक इनसान को इस दुनिया में भोजन, वस्त्र, मकान और एक साथी के बाद यदि किसी चीज की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है तो वे हैं कहानियाँ, क्योंकि हर समय हर व्यक्ति के मस्तिष्क में उसके अपने बारे में कोई-न-कोई कहानी चलती रहती है। यह कहानी ही उस व्यक्ति को वह बनाती है, जो वह है।
अनंत काल से कहानियाँ मानव जीवन का अभिन्न अंग रही हैं। कहानियाँ विश्व के हर काल, देश, आयु के लोगों के लिए हमेशा से मनोरंजन का साधन तो रही ही हैं, साथ ही सरलतम तरीके से ज्ञान-विज्ञान, भाषा, इतिहास, भूगोल, राजनीति शास्त्र आदि विषयों की वाहिका भी।
किसी भी व्यक्ति के लिए यह बहुत बड़ी व्यथा होती है कि उसके जीवन में कोई अनकही कहानी रह जाए। संभवतः ये कहानियाँ भी व्यथा से उपजी हैं, अतः सच्चाई के काफी करीब हैं। ये समाज में फैले सांप्रदायिक दुर्भाव के बीच उत्पन्न हुई संवेदना और सद्भाव की कहानियाँ हैं। भारतवर्ष जैसे देश में, जहाँ विभिन्न जातियों, धर्मों, भाषाओं के वे सब लोग बसते हैं, जो पूरी दुनिया में कहीं भी मौजूद हैं, उसके बावजूद यदि यह देश चल रहा है और आगे बढ़ रहा है तो निश्चित रूप से यहाँ सद्भाव है। वैसे तो इस पुस्तक की हर कहानी एकदम अलग है, परंतु फिर भी ये सब एक धागे से जुड़ी हैं। जैसे धागा सारे फूलों को जोडे़ रखता है, वैसे ही ये कहानियाँ सांप्रदायिक सद्भाव की भावना से जुड़ी हैं।
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अनुक्रम
अग्रवर्ती — Pg. 7
प्रस्तावना — Pg. 9
1. रिवेयरा — Pg. 15
2. हारमोनियम — Pg. 34
3. ईश्वर अल्लाह तेरो नाम — Pg. 38
4. आई लव यू — Pg. 43
5. मायका — Pg. 51
6. भोज — Pg. 58
7. प्रार्थना — Pg. 63
8. उस पार — Pg. 71
9. बादल — Pg. 79
10. विश्वास — Pg. 85
11. कर्ज — Pg. 92
12. बीडेंग — Pg. 98
13. कला — Pg. 102
14. ये खबरें नहीं छपतीं — Pg. 107
15. टैसी ड्राइवर — Pg. 112
16. डखार — Pg. 116
17. शिवाजी और औरंगजेब — Pg. 119
18. अपना-पराया — Pg. 122
19. कुर्सी — Pg. 125
20. वैष्णव देवी-सफरनामा — Pg. 129
21. अजनबी — Pg. 131
22. एक और अतिथि — Pg. 134
23. सबका मालिक एक — Pg. 137
24. सत्याग्रह — Pg. 140
25. फतिहा — Pg. 143
26. अकेला — Pg. 146
27. एक कदम तुम चलो, एक कदम हम चलें — Pg. 150
28. नार्जरी — Pg. 152
29. मिस चौधरी — Pg. 156
30. सरदार — Pg. 159
31. परिवर्तन — Pg. 163
32. परंपरा — Pg. 167
33. जूते — Pg. 169
34. खून का रिश्ता — Pg. 171
35. नेकी कर दरिया में डाल — Pg. 175
36. रोटी-बेटी — Pg. 178
37. सहयात्री — Pg. 183
38. पहचान — Pg. 185
उपसंहार — Pg. 189
रेखा द्विवेदी
शोध कार्य : जैनेंद्र के साहित्य में नारी पात्र (प्रकाशित)।
शिक्षण : हिंदी विभाग, राजीव गांधी यूनिवर्सिटी, ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश); निदेशक तथा संपादक, राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भाव प्रतिष्ठान। रेडियो एवं टेलीविजन कार्यक्रमों में सहभागिता।
कृतित्व : सद्भाव से संबंधित 20 पुस्तकें संपादित। ‘हिरण्यगर्भा’ एवं ‘जागती आँखों के सपने’ शीर्षक कविता-संग्रह प्रकाशित। समय-समय पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, लेख एवं कविताएँ प्रकाशित।
शौक : देश-विदेश की यात्राएँ, पठन-पाठन, बागवानी और हमेशा नया सीखने की चाह।