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जय शंकर मिश्र ने देश की शीर्ष सेवा में चुनौतीपूर्ण प्रशासनिक दायित्वों का कुशल निर्वहन किया है । व्यावसायिक शुष्कता एवं नीरसता को उन्होंने अपनी संवेदनशीलता पर कभी हावी नहीं होने दिया । गहन बौद्धिकता के साथ-साथ उन्होंने एक संवेदनशील मन भी पाया है । यही कारण है कि उनके हृदय में सरस काव्य रस की अंतर्धारा प्रवाहित होती रही है ।
प्रस्तुत काव्य संग्रह में संकलित कविताएँ घटनाओं, रिश्तों, अनुभूतियों पर कवि-मन की सहज प्रतिक्रियाएँ हैं । जो बात इन कविताओं को पढ़ते समय सर्वाधिक प्रभावित करती है, वह है शाश्वत मानव मूल्यों में अटूट आस्था और मनुष्य की रागात्मक वृत्तियों व प्रकृति के साथ उसके चिरंतन संबंधों की सहज, स्पष्ट तथा निर्भीक स्वीकारोक्ति ।
श्री जय शंकर मिश्र एक अत्यंत लोकप्रिय एवं कुशल प्रशासनिक अधिकारी के साथ-साथ अत्यंत संवेदनशील व्यक्ति एवं रचनाकार के रूप में भी जाने जाते हैं। उत्तर प्रदेश शासन एवं भारत सरकार के अनेक महत्त्वपूर्ण तथा चुनौतीपूर्ण दायित्वों का अत्यंत सजगता, क्षमता एवं कुशलता से निर्वहन करने के साथ-साथ संस्कृति एवं साहित्य की अनेक विधाओं में श्री मिश्र की अत्यधिक अभिरुचि है।
विभिन्न भाषाओं में लिखे जा रहे साहित्य के पठन-पाठन के अतिरिक्त भारतीय वाड.मय, उपनिषदों एवं दार्शनिक ग्रंथों के अध्ययन में उनकी गहरी अभिरुचि है। पूर्व में प्रकाशित चार काव्य-संग्रहों के अतिरिक्त श्री मिश्र की अंग्रेजी भाषा में ‘ए क्वेस्ट फॉर ड्रीम सिटीज’, ‘महाकुंभ : द ग्रेटेस्ट शो ऑन अर्थ’, ‘हैप्पीनेस इज ए चॉइस चूज टू बी हैप्पी’ एवं इसका हिंदी भावानुवाद ‘24×7 आनंद ही आनंद’ आदि प्रकाशित हो चुकी हैं। ये रचनाएँ भी सुधी पाठकों द्वारा अत्यधिक अभिरुचि एवं आह्लाद के साथ स्वीकार की गई हैं।